


भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
29 मार्च 2025 को न्याय के देवता और कर्मफल दाता शनिदेव कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। यह परिवर्तन ज्योतिष के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस दौरान मीन राशि में पहले से ही राहु, बुध, सूर्य और शुक्र मौजूद रहेंगे। ऐसे में पांच ग्रहों की यह स्थिति वैश्विक स्तर पर गहरे प्रभाव डालेगी। वरिष्ठ ज्योतिषी डॉ. नीतीश कुमार वशिष्ठ के अनुसार, शनि एक वायु तत्व ग्रह है, जो न केवल इंसानों और जीव-जंतुओं पर बल्कि प्रकृति और राजनीति पर भी प्रभाव डालता है। वे बताते हैं कि यह परिवर्तन राजनीति, अर्थव्यवस्था और जलवायु तक व्यापक स्तर पर बदलाव लाएगा।
अन्य ग्रहों की तुलना में शनि का गोचर अधिक प्रभावशाली माना जाता है क्योंकि यह आम जनता, न्याय व्यवस्था और शासन प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है। मीन राशि में इसके प्रवेश से जहां मेष राशि के जातकों के लिए ढइया प्रारंभ होगी, वहीं मकर राशि वालों के लिए साढ़े साती समाप्त होगी।
डॉ. नीतीश कुमार के अनुसार, साढ़े साती और ढइया को लेकर व्यर्थ का भय बनाया जाता है, जबकि शनि का प्रभाव जातक की कुंडली में उसकी स्थिति पर निर्भर करता है। शनि न्यायप्रिय ग्रह है और व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है।
सत्ता परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की संभावना
शनि को लोकतंत्र का अधिष्ठाता ग्रह माना जाता है। जब भी यह राशि परिवर्तन करता है, तब शासन प्रणाली में अस्थिरता देखने को मिलती है। डॉ. नीतीश कुमार वशिष्ठ का कहना है कि यह परिवर्तन कई देशों में सत्ता परिवर्तन की स्थितियां बना सकता है। साथ ही, मौसम चक्र में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, जहां सूखा था वहां बारिश होगी और जहां बाढ़ थी वहां सूखे की संभावना बन सकती है।
शनि का संदेश
शनि का राशि परिवर्तन हमें यह याद दिलाता है कि यह ग्रह कर्म प्रधान है और अच्छे कर्म करने वालों के लिए यह शुभ परिणाम देता है। अतः अंधविश्वास से बचते हुए, अपने कार्यों को न्यायसंगत और अनुशासित बनाए रखना ही इस गोचर के प्रभाव को सकारात्मक बना सकता है।


