‘मौत का तांडव’ और हमारी खामोशी!

गोपाल झा.कश्मीर को अक्सर ‘जन्नत’ कहा जाता है। बर्फ से ढकी वादियाँ, झीलों में तैरती शिकारे,…

सियासी सन्नाटा: क्या तूफान आने वाला है ?

गोपाल झा.देश की राजधानी इन दिनों एक अजीब सी बेचैनी से गुजर रही है। जो हो…

सुनिए…, पुलिस व्यवस्था की अनसुनी पीड़ा!

गोपाल झा.पुलिस को समाज का रक्षक और न्याय का पहला द्वार कहा जाता है। आमजन जब…

‘नेतृत्व के चंगुल’ से मुक्ति की तैयारी में कांग्रेस!

गोपाल झा.राजस्थान कांग्रेस इन दिनों एक दिलचस्प राजनीतिक प्रयोग के दौर से गुजर रही है। हाल…

कांग्रेस में निष्क्रिय नेताओं पर ‘डिजिटल बम’

गोपाल झा.राजनीति के डिजिटल युग में अब संगठनात्मक सक्रियता भी तकनीक से तय होगी। हाल ही…

जीवन दर्शन का उत्सव है नूतन वर्ष!

गोपाल झानूतन वर्ष! प्रकृति के आंगन में जब कोयल की कूक गूंजती है, आम्र मंजरियों की…

हुजूर! आपके वेतन बढ़े तो खुशी हुई, हमारी सुविधाएं क्यों घटीं ?

गोपाल झा.जब देश में महंगाई की मार से आम आदमी की कमर टूट रही हो, सिलेंडर…

सत्तापक्ष सड़कों पर, कहां है विपक्ष ?

गोपाल झा.हनुमानगढ़ टाउन में आर्य समाज भवन की दुकान में लगी आग ने सिर्फ ईंट-पत्थरों को…

अब भी तोप मुकाबिल है अखबार!

गोपाल झा.अखबार। यह शब्द मात्र नहीं, हमारे जैसे लाखों खबरनवीसों के लिए जीने का आधार है।…

इन तीन प्रयासों से सफल होगा ‘राइजिंग राजस्थान’

गोपाल झा.किसी भी लोककल्याणकारी सरकार के लिए जरूरी है कि वह दूरदर्शी सोच के साथ कार्य…