


गोपाल झा.
जीवन एक यात्रा है। इसमें भांति-भांति के लोग मिलते हैं। मसलन, एक सज्जन हैं। दिखने में आकर्षक। वाक्पटु भी कम नहीं। हर विषय का थोड़ा-थोड़ा ज्ञान भी रखते हैं। प्रस्तुतिकरण भी लाजवाब। लेकिन उनकी सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि उनका रिश्ता ‘प्रीपेड सिम’ की तरह है। ज्यादा दिन साथ नहीं निभा पाते। कारण है, उनका चुगलखोर होना। दूसरों के प्रति नकारात्मक माहौल तैयार करना। परिणाम यह है कि कोई भी उस सज्जन पर भरोसा नहीं करता। इसलिए कि हर कोई उनके स्वभाव से परिचित है।
देखा जाए तो जीवन में हर किसी को खुश करना संभव नहीं। जो लोग आपके सच्चे हैं, उन्हें सफाई देने की जरूरत नहीं। और जो आपके नहीं हैं, वे आपकी सफाई को भी संदेह की नजर से देखेंगे। इसलिए जीवन में सबसे जरूरी है आत्मविश्वास और सकारात्मकता।
सत्य को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती। जो आपके अपने हैं, वे आपको समझेंगे। वे आपकी भावनाओं को भी पढ़ लेंगे। लेकिन जो अपने नहीं हैं, वे आपके हर शब्द में कमी निकालेंगे। जो लोग आपको पसंद नहीं करते, वे हर समय आपकी गलतियां निकालेंगे। वे आपके खिलाफ बातें करेंगे। वे दूसरों के सामने आपकी छवि बिगाड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप उन्हें सफाई देते रहें।

एक संत से किसी ने पूछा, ‘लोग मेरी बुराई करते हैं, मैं क्या करूं?’ संत ने जवाब दिया, ‘यदि कोई आपको उपहार दे और आप उसे न लें, तो वह उपहार किसका रहेगा?’ व्यक्ति बोला, ‘उसे देने वाले का।’ संत बोले, ‘ठीक वैसे ही, यदि कोई बुरा कहे और आप ध्यान न दें, तो वह बुराई उसी के पास रह जाएगी।’
जीवन में हर रिश्ता दिखावे का नहीं होता। कुछ लोग आपके करीब दिखेंगे, लेकिन आपके नहीं होंगे। कुछ दूर दिखेंगे, लेकिन वे ही आपके असली हितैषी होंगे।
रामायण में एक प्रसंग है। विभीषण ने रावण को कई बार समझाया कि राम से युद्ध मत करो। लेकिन रावण ने उसे शत्रु मान लिया। दूसरी ओर, सुग्रीव पहले राम के विरोध में था, लेकिन बाद में उनका सच्चा मित्र बना। यह बताता है कि अपना-पराया दिखावे से तय नहीं होता।

अगर आप हर किसी की राय पर ध्यान देंगे, तो जीवन मुश्किल हो जाएगा। हर किसी को खुश करना असंभव है। जो लोग आपकी परवाह करते हैं, वे बिना कहे समझेंगे। और जो नहीं करते, वे आपकी सफाई भी गलत समझेंगे।
महात्मा गांधी को कई लोगों ने गालियां दीं। लेकिन वे अपने मार्ग से नहीं हटे। उन्होंने सिर्फ अपने सत्य और अहिंसा पर ध्यान दिया। इसी से वे इतिहास में अमर हो गए।
जो अपना है, वह आपकी नीयत को समझेगा। और जो अपना नहीं है, वह हर बात पर सवाल करेगा। इसलिए अपने कर्म पर ध्यान दें। लोग क्या कहते हैं, इसकी चिंता न करें।
जीवन में शांति चाहते हैं, तो दूसरों की बातों से ऊपर उठना सीखें।



