


भटनेर पोस्ट डेस्क.
राजस्थान के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव दस्तक दे चुका है। प्रदेश के करीब 440 बीए-बीएड और बीएससी-बीएड कॉलेजों में इस साल (2025-26 सत्र) कोई दाखिला नहीं होगा, जिससे लगभग 44 हजार सीटें खाली रह जाएंगी। वजह? राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का एक अहम फैसला और उससे जुड़ी सख्त शर्तें, जिन्हें प्रदेश के अधिकांश कॉलेज पूरा नहीं कर पाए हैं। एनसीटीई ने शिक्षा सत्र 2025-26 से चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स (बीए, बी.एड, बी.एससी-बी.एड) की जगह इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम लागू करने का निर्णय लिया है। आईटीईपी एक चार वर्षीय प्रोग्राम है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार डिज़ाइन किया गया है और शिक्षक प्रशिक्षण के स्तर को अंतरराष्ट्रीय मानकों तक ले जाने का प्रयास है।
क्यों नहीं मिल रही मंजूरी?
आईटीईपी शुरू करने के लिए एनसीटीई ने 9 मानक तय किए हैं, जिनमें नैक ग्रेडिंग, यूजीसी की मान्यता, बहुविषयक दर्जा, अनुसंधान और नवाचार जैसे कई मापदंड शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के लगभग 90 फीसद बीएड कॉलेज इन मानकों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। परिणामस्वरूप, इन कॉलेजों को अभी तक आईटीईपी संचालित करने की अनुमति नहीं मिली है। एमजीएस यूनिवर्सिटी बीकानेर के अतिरिक्त कुलसचिव (शैक्षणिक) डॉ. बिट्ठल बिस्सा के अनुसार, राज्य के केवल करीब 40 कॉलेज ही इन शर्तों पर खरे उतर रहे हैं, लेकिन उनका भी अब तक निरीक्षण नहीं हुआ है। इसके अलावा, अधिकांश कॉलेजों के पास एनएएसी ग्रेड नहीं है, जिससे वे मान्यता की दौड़ में पिछड़ गए हैं।
शिक्षाविदों की चिंता
डॉ. राजेन्द्र श्रीमाली, एक प्रमुख शिक्षाविद् का मानना है कि नए कोर्स की मान्यता मिलने से पहले पुराने कोर्स को बंद करना उचित नहीं है। इससे न केवल कॉलेजों का भविष्य अधर में लटक जाएगा, बल्कि हजारों छात्रों और फैकल्टी की जिंदगी भी प्रभावित होगी।


