डरें नहीं, सावधानी बरतें, एयर रेड सायरन बजते ही अंधेरा!

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी रणनीति को और अधिक कड़ा करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गतिविधियों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से अब प्रत्यक्ष और निर्णायक कार्रवाई के संकेत स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। इसी सिलसिले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई को देशभर के 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 244 जिलों में व्यापक स्तर पर एयर अटैक रेस्पॉन्स मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है।

इसका उद्देश्य संभावित युद्ध या हवाई हमले की स्थिति में नागरिकों को बचाव, सुरक्षा और त्वरित प्रतिक्रिया की तैयारी देना है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यह मॉक ड्रिल केवल एक रूटीन अभ्यास नहीं है, बल्कि मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यह एक गंभीर रणनीतिक कवायद है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़े तनाव और पाकिस्तान की ओर से संभावित जवाबी हरकतों की आशंका को ध्यान में रखते हुए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भारत के नागरिक, सुरक्षा एजेंसियां और स्थानीय प्रशासन किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूर्ण रूप से तैयार रहें। इस मॉक ड्रिल के दौरान देशभर में तेज़ आवाज़ वाले एयर रेड सायरन बजाए जाएंगे, जिनका उद्देश्य नागरिकों को हमले की चेतावनी देना और उन्हें सतर्क करना होगा। इसके साथ ही कुछ समय के लिए क्रैश ब्लैकआउट लागू किया जाएगा, जिसमें घरों, दफ्तरों, सार्वजनिक स्थलों और सरकारी इमारतों की बिजली बंद रखी जाएगी ताकि दुश्मन की हवाई निगरानी विफल की जा सके। नागरिकों को बंकरों या अन्य सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने का अभ्यास कराया जाएगा और बचाव उपायों की सघन जानकारी दी जाएगी।


बीकानेर संभाग बी श्रेणी में
राजस्थान, जो पाकिस्तान के साथ एक लम्बी सीमा साझा करता है, इस मॉक ड्रिल में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राज्य के 23 जिलों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ए श्रेणी में कोटा और रावतभाटा है, जबकि बी श्रेणी में अजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, नाल, सूरतगढ़, आबूरोड, नसीराबाद, भिवाड़ी, ये जिले या तो सीमावर्ती हैं या शहरी और घनी आबादी वाले हैं। सी श्रेणी में फुलेरा, नागौर, जालोर, बेवर, लालगढ़, सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, पाली-अपेक्षाकृत कम संवेदनशील है।


क्यों जरूरी है यह अभ्यास?
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में जो बदलाव आए हैं, वे स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि अब युद्ध केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है। सिविल डिफेंस यानी नागरिक सुरक्षा को एकीकृत रक्षा रणनीति का अभिन्न अंग बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। चीन और रूस जैसे देशों में पहले से ही नागरिकों को इस प्रकार की तैयारियों में प्रशिक्षित किया जाता है। भारत में इस दिशा में यह एक सशक्त शुरुआत मानी जा रही है।


पाकिस्तान में घबराहट साफ
भारत की इस व्यापक और समन्वित तैयारी से पाकिस्तान में स्पष्ट तौर पर घबराहट देखी जा रही है। पाकिस्तान के मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज़ हो गई है कि भारत सैन्य कार्रवाई की योजना बना सकता है। भारत की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि अब आतंकी हमलों पर केवल निंदा और चेतावनी की नीति नहीं चलेगी, बल्कि ठोस कार्रवाई और ज़मीनी तैयारियों के साथ जवाब दिया जाएगा।
सात मई की मॉक ड्रिल केवल एक प्रतीकात्मक अभ्यास नहीं, बल्कि भारत की बदलती सैन्य-सामरिक और नागरिक सुरक्षा रणनीति का स्पष्ट संकेत है। यह भारतीय नागरिकों को सशक्त और जागरूक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे संकट की घड़ी में राष्ट्र और समाज दोनों तैयार रहें।

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