




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
शिक्षा जगत से एक बड़ी और राहतभरी खबर आई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद यानी एनसीटीई ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र में चार वर्षीय एकीकृत बीए-बीएड और बीएससी-बीएड कोर्स को जारी रखने का ऐलान कर दिया है। इस निर्णय से उन हज़ारों विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है, जो इस कोर्स को लेकर असमंजस में थे। वहीं, निजी कॉलेजों के संचालकों ने भी इस फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है। एनसीटीई की बैठक के बाद इस संबंध में सार्वजनिक सूचना जारी की गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि अब तक संचालित हो रहे चार वर्षीय शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम यथावत जारी रहेंगे। यह निर्णय ऐसे समय में आया है, जब इन कोर्सों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी और विद्यार्थियों से लेकर कॉलेज प्रबंधन तक सभी भविष्य को लेकर चिंतित थे। राजस्थान प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष तरुण विजय ने इस फैसले को समय की मांग बताया और कहा, ‘एनसीटीई का यह निर्णय न केवल कॉलेज संचालकों के लिए सुकूनदायक है, बल्कि विद्यार्थियों के लिए भी एक बड़ी राहत है। अब उनके करियर की दिशा साफ हो गई है।’ उन्होंने बताया कि बीते कुछ महीनों से यह चर्चा जोरों पर थी कि शायद इन चार वर्षीय कोर्सों को बंद किया जा सकता है या उनमें बड़ा बदलाव आएगा। इससे कॉलेजों में एडमिशन प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही थी और विद्यार्थी ऊहापोह की स्थिति में थे।

क्या हैं ये चार वर्षीय कोर्स?
चार वर्षीय बीए-बीएड और बीएससी-बीएड कोर्स शिक्षक बनने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल माने जाते हैं। जहां पहले स्नातक के बाद दो साल का बीएड करना पड़ता था, वहीं अब इन एकीकृत कोर्सों के ज़रिए विद्यार्थी सीधे 12वीं के बाद ही शिक्षक बनने की राह पर चल सकते हैं और चार वर्षों में डिग्री पूरी कर सकते हैं। इससे समय और संसाधनों की भी बचत होती है।
शिक्षा क्षेत्र में क्यों है इसका महत्व?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत गुणवत्तापूर्ण और समग्र शिक्षक प्रशिक्षण पर ज़ोर दिया गया है। चार वर्षीय एकीकृत कोर्स इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो भविष्य के शिक्षकों को बेहतर शैक्षणिक और व्यावसायिक आधार प्रदान करते हैं। इस घोषणा के बाद कई निजी कॉलेजों में विद्यार्थियों ने खुशी जाहिर की। खासतौर से वे छात्र-छात्राएं, जो पहले ही इन पाठ्यक्रमों में दाखिला ले चुके हैं या लेने की तैयारी कर रहे थे, अब निश्चिंत हो गए हैं। एनसीटीई का यह निर्णय न केवल शिक्षा क्षेत्र को स्थिरता और दिशा देगा, बल्कि एकीकृत कोर्सों की उपयोगिता और भविष्य की संभावनाओं पर भी विश्वास मजबूत करेगा। विद्यार्थियों और कॉलेज संचालकों को मिली इस ‘नीति स्पष्टता’ से देश में शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच दोनों को मजबूती मिलेगी।



