झीलों की नगरी में शिक्षा पर क्या बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ?

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भटनेर पोस्ट न्यूज सर्विस.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि शिक्षा ही सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। शिक्षित और सुसंस्कारित व्यक्ति अपने परिवार, समाज और देश की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मुर्मू 3 अक्टूबर को उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षान्त समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं। राष्ट्रपति ने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन सिर्फ स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि उनके शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी हर्ष और गर्व का है। विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में आयोजित समारोह की अध्यक्षता प्रदेश के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने की। विशिष्ट अतिथि पंजाब के राज्यपाल व चण्डीगढ़ प्रशासक गुलाबचंद कटारिया रहे। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा सम्माननीय अतिथि के रूप में मौजूद रहे। प्रारंभ में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव व रजिस्ट्रार वृद्धिचंद गर्ग ने किया। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ चरित्र का भी विशेष महत्व है। उन्होंने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि चरित्र और विनम्रता के बिना मनुष्य हिंसक पशु के समान है। उन्होंने विद्यार्थियों को उच्चतम नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए आगे बढ़ने और अपने उच्च आचरण व कर्म से देश को गौरवान्वित करने का आह्वान किया।
सतत सीखने की प्रवृत्ति से ही शिक्षा की उपयोगिता
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि वर्तमान समय तेज गति से हो रहे बदलावों का है। ज्ञान और तकनीक में भी बदलाव हो रहे हैं। शिक्षा की उपयोगिता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि सतत सीखने की प्रवृत्ति रखी जाए। विद्यार्थी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और सामाजिक उत्तरदायित्वों में समन्वय रखें। उन्होंने विद्यार्थियों से वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने का भी आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा कि मेवाड़ और उदयपुर की विभूतियों ने स्वाधीनता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह क्षेत्र सदियों से राष्ट्रीय अस्मिता के संघर्ष का साक्षी रहा है। राणा सांगा, महाराणा प्रताप, और भक्तिकाल की महान संत कवयित्री मीराबाई का यह क्षेत्र शक्ति और भक्ति के संगम का क्षेत्र कहा जा सकता है। यहाँ की जनजाति-बहुल आबादी ने इस क्षेत्र का ही नहीं पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। यहां के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए। इससे भारत की गौरवशाली परंपराओं के बारे में जानकारी मिलेगी। उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में उदयपुर प्रजामण्डल के योगदान को भी रेखाकिंत करते हुए माणिक्य लाल वर्मा, बलवंत सिंह मेहता और भूरेलाल बया और मोहनलाल सुखाड़िया आदि का भी स्मरण किया। दीक्षान्त समारोह में गोल्ड मैडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में बेटों की तुलना में बेटियों की अधिक संख्या की जानकारी मिलने पर राष्ट्रपति मुर्मू ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हमारी बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। यह बहुत खुशी की बात है।
प्राचीन भारत शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा है: बागडे़
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल हरिभारू किसनराव बागड़े ने सभी पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। बागड़े ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति प्राचीन भारत की शिक्षापद्धति से प्रेरित है। इसमें विद्यार्थी को अपने विषय के अतिरिक्त भी अन्य जीवनोपयोगी विषयों के अध्ययन की सुविधा प्रदान की जा रही है। श्री बागड़े ने कहा कि प्राचीन भारत शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा है। यहां नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय थे, जहां देश-विदेश से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। दशमलव और शून्य जैसी महत्वपूर्ण इकाइयां दुनिया को भारत की देन हैं। उन्होंने राजस्थान के विश्वविद्यालयों की युजीसी नेक रैकिंग पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों में मानकों के अनुसार सुविधाओं के विस्तार पर काम किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि अगले 5 वर्षों के दरम्यान राजस्थान का कोई भी विश्वविद्यालय नेट रैकिंग से वंचित नहीं रहेगा। बागड़े ने विद्यार्थियों को जल के समान शीतलता और विनम्रता धारण करने के लिए प्रेरित किया।
85 स्टूडेंट्स को गोल्ड मैडल
दीक्षान्त समारोह में राष्ट्रपति ने विभिन्न विषयों के 85 विद्यार्थियों को गोल्ड मैडल तथा 68 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति की उपाधि से नवाजा। दीक्षांत समारोह में कुल 85 विद्यार्थियों को 102 गोल्ड मेडल दिए गए। जिसमें 16 छात्र तथा 69 छात्राएं शामिल है। इन गोल्ड मेडल में 8 चांसलर मेडल भी शामिल है जिसमें दो छात्र व 6 छात्राएं हैं। प्रतिवर्ष दिए जाने वाले 9 स्पॉन्सर गोल्ड मेडल के क्रम में डॉ सीबी मामोरिया, प्रो विजय श्रीमाली, प्रो आरके श्रीवास्तव, विजय सिंह देवपुरा, पीसी रांका, प्रो ललित शंकर-पुष्पा देवी शर्मा स्मृति में गोल्ड मेडल दिए गए। इसके साथ ही कुल 68 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई, जिसमें 35 छात्राएं और 33 छात्र शामिल थे।

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