डॉ. सन्तोष राजपुरोहित.
आर्थिक रूप से समृद्ध होने के बावजूद हनुमानगढ़ जिले में उद्योगों का वांछित विकास नही हो पाया है। बड़े उद्योग का पर्याय स्पिनिंग मिल भी बंद हो चुकी है, साथ ही बाज़ार की समृद्धि भी उन ऊंचाईयों तक नही पहुंची हैं अभी। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि आखिर हनुमानगढ़ के मार्केट को कैसे मिलेगा प्रोत्साहन? राज्य सरकार ‘राइजिंग राजस्थान’ की तैयारी में जुटी है और हनुमानगढ़ जिला राजस्व अर्जित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण जिला है। ऐसे में हनुमानगढ़ के स्थानीय बाजार को प्रोत्साहित करने के लिए यह प्रयास हो सकते हैं।
स्थानीय उत्पादों का प्रचार और विपणन: स्थानीय हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद और अन्य विशेष वस्तुओं के ब्रांडिंग और मार्केटिंग के जरिए उनकी मांग बढ़ाई जा सकती है।
बाजार में बुनियादी ढांचे का सुधार: सड़कों, बिजली और जल आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों का आयोजन: स्थानीय व्यापारियों को उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा, जिससे व्यापार का विस्तार होगा।
स्थानीय व्यापारियों के लिए वित्तीय सहायता: छोटे व्यापारियों को बैंकिंग संस्थानों से आसान ऋण, सब्सिडी और अन्य वित्तीय मदद प्रदान की जा सकती है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग: डिजिटल युग में ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को भारत और विदेशों में बेचा जा सकता है।
स्थानीय उद्यमिता का विकास: युवाओं और स्थानीय निवासियों को छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित करने के लिए ट्रेनिंग और मेंटरशिप कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देना: हनुमानगढ़ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को बढ़ावा देकर पर्यटन को विकसित किया जा सकता है, यहां भद्रकाली माँ का मंदिर, ब्राह्मणी माँ का मंदिर, सुखासिंह महताब सिंह गुरुद्वारा साहिब, इंदिरागांधी नहर प्रणाली, धनासर रेगिस्तान एडवेंचर खेलो का विकास, विश्व प्रसिद्ध गोगामेड़ी मंदिर आदि को पर्यटन के नक्शे पर उभार जा सकता हैं जिससे स्थानीय बाजार को भी लाभ होगा।
स्थानीय उत्पादकों और व्यापारियों के नेटवर्क को मज़बूत करना: व्यापारियों और किसानों के बीच सामूहिक नेटवर्क तैयार कर आपसी सहयोग और बाजार तक पहुंच बढ़ाई जा सकती है।
नए व्यापार अवसरों का विकास: स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नए व्यावसायिक अवसर जैसे कृषि-प्रसंस्करण इकाइयों और सर्विस इंडस्ट्री का विकास किया जा सकता है।
सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाना: स्थानीय व्यापारियों को सरकार की योजनाओं और नीतियों की जानकारी देकर उनका अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
हनुमानगढ़ के स्थानीय बाजार के विकास में प्रमुख बाधाएं
अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: सड़कों, परिवहन, बिजली, और जलापूर्ति जैसी सुविधाओं की कमी व्यापार के विस्तार में बाधा उत्पन्न करती है।
वित्तीय संसाधनों की कमी: छोटे व्यापारियों के पास पूंजी की कमी होती है, जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए आवश्यक निवेश नहीं कर पाते।
कमजोर विपणन और ब्रांडिंग: स्थानीय उत्पादों का प्रचार और ब्रांडिंग का अभाव होने से उनकी मांग सीमित रह जाती है, जिससे बाजार में विस्तार नहीं हो पाता।
तकनीकी ज्ञान की कमी: डिजिटल प्लेटफार्मों और आधुनिक व्यापार तकनीकों की जानकारी का अभाव होने से व्यापारी अपने उत्पादों को ई-कॉमर्स और अन्य तकनीकी माध्यमों से नहीं बेच पाते।
नवाचार और उद्यमशीलता की कमी: नए व्यावसायिक विचारों और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए संसाधनों और जानकारी की कमी होती है, जिससे स्थानीय बाजार स्थिर बना रहता है।
बाजार का सीमित आकार: स्थानीय बाजार का आकार छोटा होने के कारण यहां व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार सीमित होता है, जिससे व्यापारियों को अन्य बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई होती है।
प्रशिक्षण और कौशल की कमी: व्यापारियों और श्रमिकों को उचित व्यापारिक प्रशिक्षण और कौशल का अभाव होता है, जिससे वे नए व्यापारिक तरीकों को अपनाने में असमर्थ रहते हैं।
अस्थिर कृषि आय: कृषि पर निर्भरता अधिक होने के कारण, मौसम और बाजार की अस्थिरता का प्रभाव स्थानीय व्यापार पर भी पड़ता है।
सरकारी सहायता और नीतियों की जानकारी का अभाव: सरकारी योजनाओं और नीतियों की जानकारी और उनकी पहुंच सीमित होने के कारण व्यापारी इनका पूरा लाभ नहीं उठा पाते।
पर्यटन और बाहरी निवेश का अभाव: हनुमानगढ़ में पर्याप्त पर्यटन और बाहरी निवेश की कमी होने से स्थानीय बाजार को बढ़ावा नहीं मिल पाता।
-लेखक राजस्थान आर्थिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं