



भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2024 के फाइनल परिणामों में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी ने एक बार फिर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सबका ध्यान खींचा है। इस अकादमी से तैयारी कर रहे 32 अभ्यर्थियों ने प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिल की है, जिनमें 12 महिलाएं भी शामिल हैं। यह संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक है, जब यूपीएससी के 31 अभ्यर्थी सफल हुए थे।
जामिया की ओर से जारी सूचना के अनुसार, कुल 78 छात्रों ने यूपीएससी के साक्षात्कार चरण (इंटरव्यू) में भाग लिया था, जिनमें से 32 का चयन अंतिम सूची में हुआ। ये उम्मीदवार भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय विदेश सेवा जैसी शीर्ष सेवाओं में शामिल होंगे, जबकि अन्य का चयन आईआरएस, आईआरटीएस तथा ग्रुप-ए और ग्रुप-बी सेवाओं के लिए होगा।
धर्मनिरपेक्षता की जीवंत मिसाल
सबसे खास बात यह रही कि जामिया के टॉप 5 चयनित उम्मीदवारों में सभी प्रमुख धर्मों का प्रतिनिधित्व देखने को मिला। सूची में अल्बर्ट थॉमस (ईसाई) रैंक 33, इरम चौधरी (मुस्लिम) रैंक 40, रुचिका झा (हिंदू) रैंक 51, देवांशी सक्सेना (हिंदू) रैंक 124 व मोहम्मद मुनीम (मुस्लिम) रैंक 142 शामिल हैं। इस चयन सूची ने यह सिद्ध किया है कि प्रतिभा का कोई मज़हब नहीं होता और एकेडमिक मंच पर केवल मेहनत और दृष्टिकोण ही निर्णायक होते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार नवीन कुमार ने इसे धार्मिक नफरत फैलाने वालों के मुंह पर करारा तमाचा बताया। उन्होंने कहा-‘दिन-रात हिंदू-मुसलमान करने वालों को यह परिणाम देखकर चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए। जो इस्लामिक नाम वाले संस्थानों पर कीचड़ उछालते हैं, उन्हें अब आत्मचिंतन करना चाहिए।”
वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. अनीता शर्मा कहती हैं, ‘यह परिणाम भारत के बहुलतावादी स्वरूप का उदाहरण है। जामिया की कोचिंग सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए नहीं, बल्कि सभी जरूरतमंद, प्रतिभाशाली छात्रों के लिए एक अवसर बनकर उभरी है।’
वहीं, सिविल सेवा विशेषज्ञ डॉ. सैयद अब्बास का मानना है, ‘आरसीए का यह मॉडल भारत सरकार और अन्य विश्वविद्यालयों के लिए अनुकरणीय है। सीमित संसाधनों में तैयार की गई यह प्रतिभाएं देश की प्रशासनिक संरचना को नया दृष्टिकोण देंगी।’
जामिया आरसीए यानी सशक्तिकरण का प्रतीक
2009 में शुरू की गई रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को सिविल सेवा जैसी परीक्षाओं के लिए तैयार करना है। यह अकादमी एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिला अभ्यर्थियों को निशुल्क कोचिंग, हॉस्टल और शैक्षणिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है।
यूपीएससी 2024 में जामिया आरसीए की यह सफलता सिर्फ एकेडमिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक समरसता और साझा संस्कृति की सफलता भी है। यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों और असमानताओं के बावजूद बड़ा सपना देखना चाहते हैं। यह परिणाम एक साफ संदेश देता है, संस्थान का नाम नहीं, काम बोलता है। और जामिया आरसीए ने यह काम, फिर एक बार, बुलंदी से करके दिखाया है।

