




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान में इन दिनों नौकरशाही की हलचलें तेज़ हैं। राजधानी जयपुर से लेकर दिल्ली दरबार तक अफसरों की उठापटक चर्चा का विषय बनी हुई है। पिछले 3 दिनों में दो आईएएस अधिकारियों के दिल्ली डेपुटेशन पर रवाना होने के बाद, अफसरों का राजधानी की ओर रुख़ और भी ज़ोर पकड़ता नज़र आ रहा है।
राजस्थान सरकार ने केंद्र से 52 आईएएस अफसरों की मांग की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 13 ही अफसरों की झोली में डाले हैं। लेकिन इन 13 नए चेहरों ने राजस्थान प्रशासन में ताज़गी भर दी है। साथ ही गृह मंत्रालय ने सिविल सेवा परीक्षा 2023 में चयनित 200 आईपीएस अफसरों का कैडर आवंटन करते हुए राजस्थान को भी 10 नए जांबाज़ अफसर दिए हैं। इनमें से तीन तो हमारे अपने, यानि ‘घरेलू प्रोडक्शन’ हैं!
राजस्थान को मिले ये 13 नए आईएएस अफसर
इनकी सूची एक मिनी भारत जैसी दिखती है, जहाँ हर कोने से एक प्रतिनिधि नजर आता है। इनमें दिल्ली से सृष्टि डबास, उत्तर प्रदेश से एश्वर्य प्रजापत, मेधा आनंद, मृणाल कुमार, झारखंड से स्वाति शर्मा, महाराष्ट्र से राजपूत नेहा उधवसिंह और भानु शर्मा, हिमाचल प्रदेश से रोहित वर्मा, मध्य प्रदेश से आराधना चौहान और राजस्थान से चार होनहार, मोहन लाल, रविंद्र कुमार मेघवाल, चौधरी बिरजू गोपाल, और अदिति यादव शामिल हैं। इन नए अधिकारियों के आगमन से राज्य की प्रशासनिक मशीनरी में नई ऊर्जा का संचार होना तय है।
‘राजस्थानी’ बनने की होड़, बीते 3 साल में 60 अफसर
राजस्थान से आईएएस बनने का जुनून इन दिनों बुलंदी पर है। बीते 3 वर्षों में राजस्थान ने यूपी के बाद देशभर में सबसे ज्यादा आईएएस अफसर देने का गौरव हासिल किया है। 2020 में 22, 2019 में 16 व 2018 में 22 अफसर यूपीएससी की कठोर परीक्षा पास कर देश के सर्वाेच्च प्रशासनिक सेवा में पहुंचे। आज की तारीख में 399 ‘राजस्थानी मूल’ के आईएएस अफसर पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
राजस्थान को मिले 10 नए आईपीएस अधिकारी
गृह मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी कैडर आवंटन के तहत राजस्थान को जो 10 नए आईपीएस अफसर मिले हैं, उनमें से तीन प्रदेश के ही हैं। इनकी सूची कुछ यूं हैं, राजस्थान केआयुष श्रोत्रिय, रिद्धिमा जैन, सुधीर प्रताप सिंह चारण, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ श्रीवास्तव, अदिति उपाध्याय, दिल्ली की आस्था जैन, बिहार के ऋत्विक मेहता, ज्ञानेंद्र भारती, आंध्र प्रदेश के एम.एन. भारथ, तेलंगाना के सी. राजकुमार शामिल हैं। ये युवा अफसर आने वाले समय में प्रदेश की कानून-व्यवस्था को और मजबूत बनाएंगे।
अब सवाल ये है, क्या केंद्र सरकार राजस्थान को और ज्यादा अफसर उपलब्ध कराएगी? क्या ‘दिल्ली डेपुटेशन’ का मोह राज्य की अफसरशाही को लगातार कमज़ोर करता रहेगा? और क्या आने वाले दिनों में ‘राजस्थानी बनने’ की यह होड़ राज्य की सिविल सेवा तैयारियों को और धार देगी?





