एमएल शर्मा.
अपने आर्थिक एवं नीतिगत सुधारो से हर एक देशवासी का मन मोहने वाले मनमोहन सिंह का देहवसान एक युग का अंत है। उनके निधन की खबर से समूचा देश स्तब्ध रह गया। भारत जैसे देश के दो दफा प्रधानमंत्री रहने के बावजूद भी डॉक्टर सिंह की सौम्यता व सरलता अब आवाम की स्मृतियों में ही शेष रहेगी। डॉ मनमोहन सिंह ऐसे पहले प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने विख्यात ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। यह उनकी शिक्षा, सुदृढ़ लक्ष्य व गंभीर प्रयासों का परिणाम ही था कि भारत के लिए नासूर बनी वैश्विक आर्थिक मंदी के संकट से देश आसानी से उबर गया। डॉ मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियों के समक्ष विश्व भी नतमस्तक रहा। इतना ही नहीं मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट प्रस्तुत करने से पूर्व उनसे मुलाकात करने से गुरेज नहीं किया।
हिंदुस्तान के ष्वजीरे आलाष् रहते हुए डॉक्टर सिंह ने सूचना आईटी व टेलीकॉम क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया। यह क्षेत्र लाखों युवाओं के लिए रोजगार का जरिया बना। यह इन्हीं के प्रयास रहे कि मोबाइल व इंटरनेट कनेक्टिविटी देश के हर कोने में पहुंची। मनमोहन सिंह के पीएम रहते मनरेगा कानून बनाकर लागू किया गया। इस योजना के तहत निर्धन परिवारों को न्यूनतम रोजगार की गारंटी दी गई। बेशक, इससे ग्रामीण विकास के पहियों को गति मिली। प्रधानमंत्री के रूप में आरटीआई लागू कर सरकारी महाकों की ष्पोल खोलनेष् का रास्ता डॉ मनमोहन सिंह ने ही दिखाया। सन 2008 में भारत अमेरिका परमाणु समझौता डॉक्टर सिंह की दूरदर्शिता का परिचायक है। ऊर्जा संकट से निजात दिलाने की नींव रखने वाले डॉक्टर सिंह की सादगी विश्व भर में चर्चित रही। दिखावे से कोसों दूर समाज के प्रत्येक वर्ग की सोचने वाले डॉक्टर सिंह के बारे में योगेंद्र यादव कहते हैं कि मनमोहन सिंह ऐसे पीएम रहे जिनका सड़क पर बेखौफ विरोध किया जा सकता था पर उनकी ईमानदारी पर शक की गुंजाइश कभी रही ही नहीं। प्रख्यात पत्रकार रवीश कुमार कहते हैं कि डॉक्टर सिंह खुली प्रेस कांफ्रेंस करने वाले भारत के अब तक आखिरी प्रधानमंत्री रहे। वैश्विक महाशक्ति अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि जब मनमोहन सिंह बोलते हैं तो पूरी दुनिया सुनती है। हालांकि उनके प्रधानमंत्री रहते विपक्ष ने मितभाषी डॉक्टर सिंह के लिए ष्मोनी बाबाष् ष्कठपुतलीष् जैसे शब्दों का प्रयोग कर खुद की ष्खुन्नसष् मिटाने की कोशिश की पर ऐसी शब्दावली का प्रयोग उनके खुद की किरकिरी का कारण ही बन गया। पद्म भूषण डॉक्टर सिंह का बैंकिंग सुधारो में अकल्पनीय योगदान रहा। डॉ मनमोहन सिंह भारत के पहले ऐसे सिख प्रधानमंत्री रहे जिनका प्रधानमंत्री पद के लिए नाम देश की बहू सोनिया गांधी ने प्रस्तावित किया और पद की शपथ मुस्लिम राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने दिलाई। यह सर्व धर्म सद्भाव का अनूठा संयोग बना। कहते है एक समय बाद जब व्यक्ति स्मृति शेष रह जाता है तो उसके बड़प्पन के किस्से उसके व्यवहार को बयां करते हैं। डॉ सिंह ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए किसी तरह का छद्म नहीं रचा, अपनी कमियों खूबियों को लेकर शब्दों के प्रपंच कभी नहीं बुने।
जमाना कर ना सका उसके कद का अंदाजा
वह आसमान था मगर
सर झुका के चलता था
मां भारती के लाडले सपूत डॉ मनमोहन सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि।