श्रीगंगानगर से हनुमानगढ़ होकर जयनगर तक ट्रेन की मांग

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर जिले में पूर्वांचल मूल के वाशिंदे रेलवे सुविधाओं में कमी से परेशान हैं। उनका कहना है कि अगर श्रीगंगानगर और चूरू सांसद संयुक्त रूप से प्रयास करें तो श्रीगंगानगर से हनुमानगढ़, नोहर, भादरा, सादुलपुर, दिल्ली, कानपुर, पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी और जयनगर तक ट्रेन चलाई जा सकती है। इससे दोनों संसदीय क्षेत्रों के न सिर्फ करीब पांच लाख से अधिक पूर्वांचल मूल बल्कि सिक्ख बाहुल्य क्षेत्र के लोगों को पटना साहिब के लिए सीधी ट्रेन मिल सकती है।

 राजस्थान पूर्वांचल युवा समिति अध्यक्ष एडवोकेट विजय सिंह चौहान कहते हैं, ‘हमने पहले भी इस संबंध में रेल मंत्री को ज्ञापन भिजवाया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आगे अब इस मांग को लेकर कार्यक्रम तय किए जाएंगे।’ 

राजस्थान पूर्वांचल युवा समिति उपाध्यक्ष संतोष त्रिपाठी के मुताबिक, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में करीब पांच लाख से अधिक पूर्वांचल मूल के लोग निवास करते हैं। यूपी-बिहार आने-जाने में उन्हें काफी दिक्कत होती है क्योंकि बिहार के लिए हनुमानगढ़ से एकमात्र अवध आसाम एक्सप्रेस है। इसमें टिकट कंफर्म होना बड़ी बात है। इसलिए यात्री भार को देखते हुए कम से कम एक और ट्रेन की सख्त जरूरत है।

राजस्थान मैथिल ब्राह्मण परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट देवकीनंदन चौधरी कहते हैं कि मिथिलांचल के कम से कम ढाई लाख लोग श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले में निवास कर रहे हैं लेकिन इनकी सुविधाओं को लेकर किसी को फिक्र नहीं है। समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, वैशाली आदि लोगों के लिए एकमात्र ट्रेन है। जिसमें काफी भीड़ रहती है। सीट न मिलने से लोगों की यात्रा कठिन हो जाती है। चूंकि 36 घंटे का सफर होता है, इसलिए लोग परेशान हो जाते हैं। ऐसे में एक और ट्रेन की सख्त जरूरत है ताकि लोग आराम से यात्रा कर सकें।

मिथिला सेवा समिति अध्यक्ष बलदेव दास कहते हैं, ‘यह छोटी समस्या नहीं है। हमारे जनप्रतिनिधियों को भी समझना चाहिए। इस पर जल्दी निर्णय होना चाहिए। करीब पांच लाख लोगों की भावना का ध्यान रखना जनप्रतिनिधियों का दायित्व है।’
पटना साहिब के लिए भी कोई ट्रेन नहीं
काबिलेगौर है कि हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर सिक्ख बाहुल्य क्षेत्र है। यहां से अमूमन सैकड़ों परिवार हर महीने पटना साहिब जरूर जाता है। लेकिन पटना के लिए सीधी ट्रेन न होने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरदार जोरावर सिंह कहते हैं कि यह सही मांग है और इसको लेकर सिख समाज भी प्रयास करेगा। 

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