बेबी हैप्पी स्कूल की कहानी,भगवानदास गुप्ता की जुबानी

हनुमानगढ़ के विकास में बहुत से लोगों का योगदान रहा है। भले वह किसी तरह का हो। ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ ऐसी शख्सियतों को ‘सिटी स्टार’ मानता है। पहली कड़ी में ‘सिटी स्टार’ हैं भगवानदास गुप्ता, जिन्होंने बेबी हैप्पी मॉडर्न पब्लिक स्कूल की नींव रखी और आज यह संस्था शिक्षा जगत में मजबूत इमारत की तरह खड़ी है। तो आइए, मिलते हैं शिक्षाविद् भगतानदास गुप्ता से…….

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
सत्तर के दशक में हनुमानगढ़ जंक्शन की आबादी बेहद कम थी। शिक्षण संस्थान इक्का दुक्का थे। रेलवे कॉलोनी में अपने भाई के पास आए भगवानदास गुप्ता ने साल 1972 में एक स्कूल खोला। नाम रखा बेबी हैप्पी मॉडर्न पब्लिक स्कूल। भट्ठा कॉलोनी में संचालित इस स्कूल का नाम आज एक ब्रांड बन गया है। पांचवीं कक्षा तक के लिए खोला गया एक छोटा सा स्कूल आज न सिर्फ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, डिग्री कॉलेज बल्कि बी.एड कॉलेज के तौर पर क्षेत्र के विद्यार्थियों में शिक्षा की अलख जगा रहा है।
बेबी हैप्पी मॉडर्न एजुकेशन ग्रुप के संस्थापक भगवानदास गुप्ता ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहते हैं, ‘भाई साहब रेलवे में थे। इसलिए 1963 में हनुमानगढ़ आना हुआ। प्राइमरी स्कूल खोला। पहले ही सत्र में 122 बच्चों के एडमिशन हो गए। गांव जैसा माहौल था। उस वक्त फीस भी 5 से 7 रुपए तक थी। जंक्शन अनाज मंडी से खूब बच्चे आते थे।’


शिक्षा व्यवस्था में कितना बदलाव आया ? भगवानदास गुप्ता कहते हैं, ‘अब तो बहुत कुछ बदल गया। पहले जैसा अब कुछ नहीं। न बच्चे, अभिभावक और न ही वैसे टीचर। बच्चों में अपने शिक्षक के प्रति गजब का सम्मान था। वे मन से गुरु के प्रति समर्पित रहते। आज औपचारिकता ज्यादा है।’
करीब 52 साल के अध्यापन काल में भगवानदास गुप्ता के पढ़ाए हजारों बच्चे ओहदेदार बन गए। उच्च पदों पर आसीन हैं। वे कहते हैं, ‘अब तो पढ़ाए हुए बच्चों के बच्चे अफसर बन गए। चौथी पीढ़ी को पढ़ाने का मौका मिला है। जीवन की सबसे बड़ी कमाई है ये। अच्छा लगता है जब पुराने बच्चे सपरिवार अपने बच्चों के साथ आते हैं, पुरानी बातें करते हैं। मन को संतोष मिलता है। अध्यापन सेवा पर गर्व की अनुभूति होती है।’ ‘बेबी हैप्पी’ नाम ब्रांड कैसे बन गया ? गुप्ता कहते हैं, ‘परमात्मा की कृपा है। दोनों बेटों की लगन और स्टाफ की मेहनत है। लोगों का स्नेह और सहयोग है। बड़ों का आशीर्वाद है।’


सज्जनता की प्रतिमूर्ति हैं गुप्ता
शिक्षाविद् भगवानदास गुप्ता सज्जनता की प्रतिमूर्ति हैं। सादा जीवन, उच्च विचार के हिमायती हैं। साल 1952 में 5 मई को जन्मे भगवानदास गुप्ता उस जमाने के इंटरमीडिएट तक शिक्षित हैं। शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए तत्कालीन वसुंधराराजे सरकार ने भगवानदास गुप्ता को वरिष्ठ नागरिक सम्मान से नवाजा। धर्मपत्नी श्रीमती मीना गुप्ता भी स्कूल संचालन में शुरू से भूमिका निभाती रही हैं। वे बेहद धार्मिक विचारों की विदुषी महिला हैं। गुप्ता दंपती की तीन संतानें हैं। बड़े बेटे तरुण विजय राजनीति, समाजसेवा और शिक्षा जगत में खूब नाम कमा रहे। छोटे बेटे आशीष विजय शिक्षा जगत के साथ समाजसेवा में नाम रोशन कर रहे हैं। एक बेटी हैं जो जयपुर में विवाहित हैं। खुद भगवानदास गुप्ता शिक्षण संस्थान संचालन के साथ समाजसेवा में जुड़े रहते हैं।

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