

डॉ. संतोष राजपुरोहित.
22 अप्रैल 2025 को जब आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में निर्दाेष नागरिकों को निशाना बनाया, तो यह भारत की सहनशीलता की चरम परीक्षा थी। इस कायराना हमले ने न केवल राष्ट्रीय आत्मा को झकझोर दिया, बल्कि यह भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाला कार्य भी था। ऐसे संवेदनशील समय में भारत सरकार द्वारा चलाया गया सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’, एक निर्णायक और सशक्त प्रतिक्रिया थी जिसने आतंकवादियों को करारा जवाब देने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए स्थिरता, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की नई दिशा तय की।

किसी भी राष्ट्र की आर्थिक प्रगति का आधार शांति और स्थिरता होती है। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के लिए, सीमाओं की सुरक्षा और आतंरिक स्थिरता विशेष महत्व रखती है। आतंकवाद न केवल मानव जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि निवेश, व्यापार, पर्यटन और सरकारी संसाधनों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऑपरेशन सिंदूर ने इन सभी मोर्चों पर आश्वस्ति प्रदान कर यह दिखाया कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।
आतंकवाद और अस्थिरता किसी देश को निवेश के दृष्टिकोण से कमजोर बनाती है। इसके विपरीत, जब कोई राष्ट्र दृढ़ता से सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करता है, तो निवेशकों के मन में विश्वास उत्पन्न होता है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह आतंकवाद के विरुद्ध एक सशक्त और संगठित रणनीति रखता है। इससे घरेलू और विदेशी निवेशकों को भारत में पूंजी लगाने हेतु सकारात्मक संकेत मिला, जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निजी निवेश में बढ़ोतरी की संभावना बनी।

सीमा पार से होने वाले आतंकी हमले व्यापार मार्गों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा का नया स्तर स्थापित किया, जिससे वाणिज्यिक गतिविधियों के संचालन में स्थिरता आई। यह विशेष रूप से उन उद्योगों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ जो संवेदनशील क्षेत्रों में उत्पादन या वितरण पर निर्भर हैं।
भारत का पर्यटन उद्योग करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है और विदेशी मुद्रा अर्जन का प्रमुख स्रोत है। आतंकवाद पर्यटन को सबसे पहले प्रभावित करता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद बनी सुरक्षा की सकारात्मक छवि ने भारत को एक सुरक्षित पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने में सहायता की। इससे पर्यटकों के विश्वास में वृद्धि हुई और देश के पर्यटन राजस्व को गति मिली।

आतंकवाद के चलते सरकारें रक्षा और सुरक्षा मदों में भारी व्यय करने को बाध्य होती हैं। ऑपरेशन सिंदूर के पश्चात सीमाओं पर बनी स्थिरता से सुरक्षा पर खर्च में संतुलन आने की संभावना बनी है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना जैसे मूलभूत विकास क्षेत्रों में संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हुआ है।
इस सैन्य अभियान ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को और मजबूती दी। विदेशी हथियारों पर निर्भरता लंबे समय से भारत की एक कमजोरी रही है। ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी उपकरणों की सफलता ने यह दर्शाया कि भारत में रक्षा तकनीक का विकास संभव और प्रभावी है। इससे घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिला और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को नई ऊर्जा प्राप्त हुई।

रक्षा क्षेत्र के विकास का असर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और मैटेरियल साइंस जैसे क्षेत्रों पर भी पड़ा। सैन्य उपकरणों के निर्माण में इन क्षेत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिससे तकनीकी नवाचार और अनुसंधान में तेजी आई। इससे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में बहुआयामी विकास की संभावनाएँ खुलीं।
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से जुड़ी नीति न केवल उद्योगों को विस्तार देती है, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का माध्यम भी बनती है। कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए नए अवसरों का निर्माण हुआ, जिससे बेरोजगारी में कमी आने की संभावना बनी। इसके साथ ही, युवा वर्ग में तकनीकी प्रशिक्षण और रक्षा क्षेत्र में कौशल विकास की नई संभावनाएँ जन्मीं।
रक्षा उपकरणों के आयात पर होने वाला भारी व्यय भारत की विदेशी मुद्रा पर बोझ डालता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की ओर बढ़ते कदमों से आयात पर निर्भरता में कमी आ सकती है। इससे विदेशी मुद्रा की बचत और चालू खाता घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल सैन्य रूप से भारत को सशक्त किया, बल्कि राष्ट्र के नागरिकों में सुरक्षा, आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गौरव की भावना को भी पुनर्जीवित किया। एक आश्वस्त नागरिक अधिक उत्पादक, नवाचारी और उद्यमशील होता है। इससे स्टार्टअप संस्कृति, घरेलू उद्यमों और नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है। यही चक्र दीर्घकालिक आर्थिक प्रगति की नींव रखता है।
इस अभियान ने भारत को वैश्विक मंच पर एक निर्णायक, जिम्मेदार और सक्षम राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया। इससे भारत की रणनीतिक स्थिति मजबूत हुई और विश्व के कई देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक सहयोग और निवेश संबंधों में वृद्धि की संभावना भी बनी।

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की आर्थिक दृष्टि और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक मोड़ था। इसने भारत को केवल आतंकवादियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा नहीं किया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, निवेश, रोजगार, तकनीकी विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों में भी स्थायित्व और विश्वास की नींव रखी।
यह अभियान भारत के इतिहास में एक ऐसे अध्याय के रूप में अंकित होगा, जहाँ राष्ट्र की आत्मरक्षा ने आर्थिक विकास के द्वार खोलने का कार्य किया। यह निःसंदेह भारत को एक सशक्त, आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में उभारने की दिशा में एक प्रभावी पहल है।
-लेखक भारतीय आर्थिक परिषद के सदस्य हैं


