10 साल: बिना युद्ध हमने गंवाए 600 से ज्यादा जवान

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भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
सात मई की सुबह भारत सरकार ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए देश को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक के संबंध में व्यापक जानकारी दी। यह प्रेस ब्रीफिंग कई दृष्टिकोणों से ऐतिहासिक रही, सेना के अधिकारियों ने एक सामरिक ऑपरेशन पर खुलकर प्रेस को जानकारी दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत की निर्णायक नीति, कूटनीतिक विवेक और सैन्य क्षमता, तीनों का स्पष्ट सन्देश विश्व समुदाय को दिया।


विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ब्रीफिंग में बताया कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकी हमले की क्रूरता ने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि इसका उद्देश्य भारत की आंतरिक स्थिरता को बाधित करना भी था। हमले में पर्यटकों को उनके परिवारों के सामने बेरहमी से मारा गया और शेष बचे लोगों से कहा गया कि वे इस वीभत्स घटना का संदेश फैलाएं।
विदेश सचिव के अनुसार, यह हमला न केवल घाटी में शांति भंग करने का प्रयास था, बल्कि कश्मीर के विकास में आई तेजी को रोकने का भी प्रयास था। वर्ष 2024 में 2.25 करोड़ से अधिक पर्यटक कश्मीर आए थे, यह संख्या अपने आप में उस क्षेत्र की बदलती छवि का प्रमाण है।


इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) नामक संगठन ने ली है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित घोषित किया जा चुका है। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी गुटों का छद्म रूप है, जो अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए नए नामों का सहारा लेते हैं। जांच में यह भी सामने आया कि पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठनों और हमलावरों के बीच प्रत्यक्ष संपर्क रहा है, जिसकी पुष्टि डिजिटल फुटप्रिंट्स, सोशल मीडिया पोस्ट और गुप्तचर रिपोर्ट्स से हुई है।


भारतीय सेना और वायुसेना ने इस हमले के बाद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर एयर स्ट्राइक की। यह ऑपरेशन रात 1.05 से 1.30 बजे के बीच हुआ और इसमें पाकिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर के 7 शहरों में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि इन ठिकानों में लश्कर, जैश और हिजबुल के लॉन्च पैड, ट्रेनिंग कैंप और हथियार भंडारण केंद्र शामिल थे। मुजफ्फराबाद का सवाई नाला, बहावलपुर का जैश मुख्यालय, सियालकोट के सरजल और महमूना जाया कैंप्स, और लाहौर के निकट मरकज तैयबा, सभी ठिकानों को चुनिंदा और इंटेलिजेंस आधारित रणनीति से निशाना बनाया गया।


इस पूरे ऑपरेशन में विशेष ध्यान रखा गया कि किसी नागरिक या असैन्य ढांचे को क्षति न पहुंचे। इस बात की भी पुष्टि की गई कि कोई रिहायशी इलाका या स्कूल/अस्पताल प्रभावित नहीं हुआ।
भारत की यह कार्रवाई केवल आत्मरक्षा नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों के निर्वहन की दिशा में एक प्रतिबद्ध कदम है। भारत ने इस कार्रवाई को ‘संयमित, सटीक और आवश्यक’ बताया, जो यूएन चार्टर के तहत आत्मरक्षा के अधिकार में आता है।
संयुक्त राष्ट्र, एफएटीएफ और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत ने पहले ही पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचे पर चिंता जताई थी। यह ऑपरेशन उसी क्रम में, ठोस प्रमाणों के आधार पर किया गया, ताकि भविष्य में ऐसे नृशंस हमलों को रोका जा सके।
एक दशक का दर्द
प्रेस ब्रीफिंग में यह भी उजागर किया गया कि पिछले 10 वर्षों में 600 से अधिक भारतीय जवान शहीद हुए, 350 से अधिक नागरिक आतंकवाद का शिकार बने और लगभग 1,400 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। यह आंकड़े किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिए असहनीय हैं और आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक नीति अपनाने की मांग करते हैं।

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