विचारों से विखंडन नहीं, एकता का निर्माण करें, अंबेडकर जयंती पर बोले वक्ता

भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ जंक्शन का जाट भवन एक विचारोत्तेजक माहौल का साक्षी बना, जब सामाजिक समरसता मंच के तत्वावधान में डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर एक विशेष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं था, बल्कि बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने और सामाजिक समरसता की मशाल को आगे बढ़ाने का संकल्प था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडीएम उम्मेदी लाल मीणा ने अंबेडकर के संविधान निर्माता के रूप में ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा, ‘बाबा साहब ने भारत को न केवल कानून का ढांचा दिया, बल्कि एक ऐसा दृष्टिकोण भी दिया जिसमें हर व्यक्ति को समान अधिकार और गरिमा मिले।’
विशिष्ट अतिथि मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी पन्नालाल कड़ेला, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सीमा भल्ला, एवं प्रधानाचार्य मनजीत कौर ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि शिक्षा, समानता और समरसता ही अंबेडकर जी के चिंतन की धुरी रहे हैं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मोहनलाल सहारण ने बड़ी मार्मिकता से बाबा साहब के जीवन के उन पहलुओं को उजागर किया जिन्हें आज की पीढ़ी अक्सर नजरअंदाज कर देती है। उन्होंने कहा, ‘डॉ. अंबेडकर किसी एक जाति या वर्ग के नेता नहीं थे, बल्कि वे समूचे भारतीय समाज के मार्गदर्शक थे। उन्हें जाति के दायरे में बांधना, उनके विचारों का अपमान है।’ उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि आज देश को सबसे बड़ा खतरा विखंडनकारी सोच से है, जो जाति, धर्म और समुदाय के नाम पर देश को बांटने का काम कर रही है। उन्होंने आगाह किया कि यदि हम इस रास्ते पर चलते रहे, तो वो विभाजनकारी परिस्थितियाँ फिर लौट सकती हैं जो कभी हमारी आज़ादी को बाधित करती रही थीं।
गोष्ठी में उपस्थित अन्य विशिष्टजनों में सामाजिक समरसता मंच के संयोजक प्रवीण गोयल, सह संयोजक अतर सिंह, राधेश्याम जी, जिला प्रचारक नीरज कुमार, टिब्बी बीईईओ लालचंद गुड्डेसर, भाजपा प्रत्याशी अमित सहू, भंवलंत सिंह, अजय भार्गव, डॉ. निशांत बत्रा, भवानी शंकर, गौरव शर्मा, रणवीर साहू, विक्रम प्रधान, आशीष पारीक, पारस सुथार, शिवचंद, राजाराम, संजय शर्मा, सुनील बिश्नोई, ममता कौशिक, मंजू बिश्नोई, देवेंद्र ओझा आदि गणमान्य जन शामिल रहे।
कार्यक्रम में वक्ताओं के विचारों के साथ-साथ एक ऐसा वातावरण बना, जिसमें बाबा साहब के विचारों को केवल सुनने की नहीं, बल्कि जीवन में उतारने की प्रेरणा मिली। समापन के अवसर पर सभी ने बाबा साहब के समरस भारत के स्वप्न को साकार करने की प्रतिज्ञा ली।

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