रोहित अग्रवाल.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश कर अरसे से उम्मीद लगाए मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी है। आयकर में राहत देकर सरकार ने मध्यम वर्ग को खुश करने का प्रयास किया है। सच तो यह है कि इसी तरह के स्लैब का इंतजार किया जा रहा था। हर बजट में मध्यम वर्ग टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद लगाए रहता था। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद पहला मौका है जब सरकार ने मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर बजट पेश किया है। मसलन, सरकार ने 12 लाख तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगाने का एलान किया है। इसका मतलब है कि प्रति माह 1 लाख तक की आय पर कोई आयकर नहीं। वेतनभोगी को 75000 की अतिरिक्त छूट दी गई है। पहले 12.75 लाख की आय पर 69 हजार 950 रुपए टैक्स देना पड़ता था, जो अब नहीं देना होगा यानी अब ऐसे लोगों को हर साल 70 हजार का सीधा लाभ मिलेगा। बजट में माल बेचने पर लगने वाले टीसीएस यानी टैक्स कलेक्शन एटसोर्सिज को हटाया गया है जिससे व्यापार में पूंजी लग सकेगी। पहले टीसीएस में व्यापारी/उद्यमी की पंूजी काफी समय तक रूक जाती थी जो अब नहीं होगी। वहीं, सरकार ने एजुकेशन लोन पर भी टीसीएस हटाने का एलान किया है। इससे कर्ज लेकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को राहत मिलेगी।
टीडीएस में काफी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिसमें 6 लाख तक के किराए पर टीडीएस कटौती नहीं होगी जो कि पहले 2.40 लाख की सीमा थी। वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाले ब्याज पर 1 लाख तक टीडीएस कटौती नहीं होगी जो कि पूर्व में 50 हजार के बाद होती थी। इससे सीनियर सिटीजन को राहत मिलेगी।
सरकार ने कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की 36 दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाने का निर्णय किया है, इससे दवाएं सस्ती होंगी और पीड़ित परिवारों का आर्थिक बोझ कम होगा। इससे बेहतर बताया जा सकता है।
सरकार ने किसानों को भी सौगात देने का प्रयास किया है। इसके तहत केसीसी लोन की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया है। जिससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले सप्ताह नया आयकर बिल पेश करने की बात कही है। अच्छा होता, सरकार उसे बजट से पहले पेश करती। लेकिन कुछ भी हो, सबको नए आयकर बिल का बेसब्री से इंतजार रहेगा।
कुल मिलाकर, सरकार के इस बजट को मध्यम वर्ग के लिहाज से काफी राहत देने वाला कह सकते हैं। इसमें किसानों, युवाओं, कर्मचारियों, छोटे व्यापारियों व वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े हितों का ध्यान रखा गया है। इसलिए बजट को जन उपयोगी कह सकते हैं।
-लेखक जाने-माने कर सलाहकार व टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं