



भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
पाकिस्तान पर हुई एयर स्ट्राइक के बाद पूरे देश में सतर्कता बढ़ा दी गई है। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने भी युद्ध जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्य के सभी जिलों में विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। गृह विभाग द्वारा जारी इस गाइडलाइन में जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग से लेकर जलदाय और आपूर्ति विभाग तक को एक्टिव मोड में लाने के आदेश दिए गए हैं। सरकार का स्पष्ट संदेश है, जनता को सुरक्षित रखना सर्वाेच्च प्राथमिकता है।
स्वास्थ्य व्यवस्था: राज्य सरकार ने युद्ध या हमले की स्थिति में तुरंत इलाज के लिए समुचित स्वास्थ्य इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। सभी सरकारी और चिन्हित निजी अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की 24 घंटे मौजूदगी सुनिश्चित करनी होगी। ब्लड बैंकों में सभी रक्त समूहों का पर्याप्त भंडारण रखने को कहा गया है। साथ ही, कुछ स्कूल और सामुदायिक भवनों को टेम्परेरी अस्पताल या राहत शिविरों में बदलने की तैयारी भी रखी जाएगी। आवश्यक बिजली आपूर्ति के लिए जनरेटर भी मुहैया करवाने के निर्देश दिए गए हैं।

अफवाह फैलाने वालों की होगी गिरफ्तारी: सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस संवेदनशील समय में अफवाहें और भड़काऊ पोस्ट माहौल बिगाड़ सकती हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर निगरानी तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। देश विरोधी या साम्प्रदायिक तनाव फैलाने वाली किसी भी पोस्ट पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जाएगी और संबंधित व्यक्ति की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी। कलेक्टर और एसपी को स्वयं मॉनिटरिंग करने तथा स्थानीय स्तर पर सोशल मीडिया गतिविधियों पर नज़र रखने को कहा गया है।
खाद्य सामग्री और जल आपूर्ति बनी रहे: राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों को आदेश दिया है कि खाने-पीने की वस्तुओं की उपलब्धता और वितरण पर विशेष निगरानी रखें। अनावश्यक भंडारण या कालाबाजारी की कोई घटना न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। जलदाय विभाग को इमरजेंसी के हालात में पेयजल आपूर्ति सुचारू रखने की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से तैयार रखने को कहा गया है।

सेना और केंद्रीय एजेंसियों से तालमेल जरूरी: सीमा से सटे जिलों, जैसे श्रीगंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर आदि के प्रशासन को विशेष तैयारियों के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, संभागीय आयुक्त और आईजी को सेना और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों से सतत संपर्क में रहकर सामंजस्य बनाए रखने को कहा गया है। किसी भी प्रकार की गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशासनिक समन्वय सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।
सीमावर्ती गांवों के लिए निकासी योजना: गृह विभाग ने निर्देश दिए हैं कि बॉर्डर से सटे गांवों से जरूरत पड़ने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की योजना तैयार रहे। इस प्रक्रिया के लिए बसों, राहत शिविरों, खाने-पीने की व्यवस्था और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की सूची पहले से बनाकर रखी जाए। संबंधित गांवों के सरपंचों व जनप्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

संवेदनशील स्थलों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी: राज्य के सभी अस्पतालों, पावर प्लांट्स, तेल और गैस डिपो, पाइपलाइन, रेलवे स्टेशन और धार्मिक स्थलों को संवेदनशील स्थानों की श्रेणी में रखा गया है। इनकी सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और सीसीटीवी निगरानी के इंतजाम करने के निर्देश हैं। जिलों से ऐसी संवेदनशील स्थलों की अद्यतन सूची बनाकर सरकार को भेजने को कहा गया है।
फायर बिग्रेड और संचार सेवाएं एक्टिव मोड में: आपात स्थिति में कहीं भी आगजनी या विस्फोट जैसी घटनाओं से निपटने के लिए सभी जिलों की फायर ब्रिगेड को 24Û7 तैयार रहने के निर्देश हैं। वहीं मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट और संचार सेवाओं को चालू रखना आवश्यक किया गया है। हर गांव और मोहल्ले तक सरकारी सूचनाएं पहुंचाने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर माइक सिस्टम लगाने और उन्हें कार्यशील रखने को कहा गया है।
मॉक ड्रिल और एनसीसी/एनजीओ का सहयोग: राज्य सरकार ने जिला प्रशासन से समय-समय पर आपदा प्रबंधन की मॉक ड्रिल करवाने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी परख ली जाए। आपात स्थिति में एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों और स्थानीय एनजीओ से भी सहायता लेने की योजना बनाई गई है।


