





डॉ. एमपी शर्मा.
सपने वो नहीं जो हम सोते वक्त देखते हैं, सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।
यह महज़ एक वाक्य नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीय युवाओं के दिलों में ऊर्जा भरने वाली मशाल है, जिसे प्रज्वलित किया भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने। वे केवल वैज्ञानिक नहीं थे, वे एक विचारधारा थे, एक आंदोलन थे, और एक ऐसे युग-निर्माता थे जिनकी प्रेरणा समय की सीमाओं को पार करती है। जब एक मछुआरे का बेटा रामेश्वरम के तट से उठकर राष्ट्रपति भवन तक पहुँचा, तो यह केवल किस्मत की बात नहीं थी, यह था उनके ‘बड़े सोचने’ का परिणाम। डॉ. कलाम हमेशा कहते थे कि अगर आप अपने बारे में छोटी सोच रखते हैं, तो आप अपने पैरों में ज़ंजीर डाल लेते हैं। उन्होंने यह सिद्ध किया कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी सीमित हों, यदि सोच असीम हो तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है।
बड़े सपने देखें, सपने ही दिशा देते हैं
डॉ. कलाम के जीवन का सबसे प्रभावशाली पहलू उनका ‘सपनों’ में विश्वास था। उन्होंने कभी यह नहीं सोचा कि उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ है, बल्कि उन्होंने यह सोचा कि वे देश को असाधारण बना सकते हैं। वे कहते थे, ‘छोटे लक्ष्य अपराध हैं।’ उनके सपनों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना, वैज्ञानिक क्षेत्र में अग्रणी बनाना और युवाओं को आत्मबल से युक्त करना शामिल था। उनके ही सपनों का परिणाम है कि आज भारत मिसाइल तकनीक, उपग्रह प्रक्षेपण और रक्षा अनुसंधान में वैश्विक पटल पर एक मजबूत पहचान बना चुका है।
रिस्क लें, जोखिम से ही रास्ते बनते हैं
जो लोग केवल सुरक्षित रास्ते चलते हैं, वे मंज़िल तो पाते हैं पर इतिहास नहीं बनाते। डॉ. कलाम ने अपने जीवन में अनेकों बार रिस्क लिया। इसरो में जब एसलवी-3 रॉकेट का पहला प्रक्षेपण असफल हुआ, तब उन्होंने हार नहीं मानी। बल्कि उसी असफलता को भविष्य की सफलता की नींव बनाया। उनके शब्दों में, ‘जो चमकना चाहता है, उसे पहले जलना भी पड़ेगा।’
असफलता सीखने की प्रयोगशाला
डॉ. कलाम के जीवन में कई बार असफलताएँ आईं, लेकिन उन्होंने कभी किसी असफलता को ‘अंत’ नहीं माना। उनके लिए हर असफलता एक ‘फीडबैक’ थी, एक सुधार का अवसर। उनका यह कथन अनमोल है, ‘असफलता का अर्थ है सीखने का पहला प्रयास।’ यदि हम इस सोच को अपनाएँ, तो कोई भी असफलता हमें तोड़ नहीं सकती।
मार्ग स्वयं चुनें, परछाई नहीं, प्रकाश बनें
आज की दुनिया में सोशल मीडिया और समाज के दबाव ने युवाओं को दूसरों की नकल करने में व्यस्त कर दिया है। हर कोई किसी और की तरह बनना चाहता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनें, खुद का मार्ग तय करें और उस पर अडिग रहें। यही आत्मनिर्भरता और सच्ची सफलता की कुंजी है। अपने सपनों के लिए जागिए, संघर्ष कीजिए और इतिहास रचिए। डॉ. कलाम की विरासत हमें सिखाती है कि सफलता का मार्ग कठिन जरूर है, पर असंभव नहीं।
हर युवा, हर नागरिक के भीतर अपार ऊर्जा है। यदि हम अपने सपनों के प्रति ईमानदार रहें, मेहनत से न डरें और अपनी राह खुद बनाएँकृतो हम न केवल अपने जीवन को ऊँचा उठा सकते हैं, बल्कि अपने समाज और देश को भी नई ऊँचाइयाँ दे सकते हैं।
डॉ. कलाम एक वैज्ञानिक थे, परंतु उनका विज्ञान मानवता की सेवा में था। वे एक राष्ट्रपति थे, परंतु उनका पद जनमानस से जुड़ने का माध्यम था। वे एक शिक्षक थे, और उनका हर शब्द आज भी हमें जीवन के बड़े पाठ पढ़ाता है। तो आइए, उनके विचारों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। बड़े सोचें, बड़े सपने देखें, जोखिम लें, असफलताओं से सीखें और अपनी राह खुद बनाएं, क्योंकि आप भी एक कलाम बन सकते हैं, यदि आप ठान लें।
-लेखक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं


