स्कूल में शुरू होंगे प्रोफेशनल कोर्स, जानिए क्या चल रही तैयारी ?

भटनेर पोस्ट ब्यूरो. जयपुर.
राज्य के विभिन्न जिलों में वहाँ की परिस्थितियों तथा इंडस्ट्रीज की माँग के अनुसार विद्यार्थियों के लिये कोर्स प्रारम्भ करने पर विचार किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव नवीन जैन अब इस मसले पर गंभीरतापूर्वक मंथन कर रहे हैं। शिक्षा संकुल में हुई उच्च स्तरीय बैठक में व्यावसायिक शिक्षा संबंधी मसले पर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए। बताया गया कि जिन विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को ‘हब एंड स्पोक‘ मॉडल पर पास के विद्यालयों से जोड़ा गया है, उनके प्रशिक्षण के सम्बन्ध में और अधिक सजगता के कार्य करने की आवश्यकता महसूस की गई। इस सम्बन्ध में विद्यालयों का चयन ध्यान से करने तथा विद्यार्थियों की मूवमेंट सुनिश्चित करने के लिये ट्रांसपोर्ट व्यवस्था के सम्बन्ध में भी चर्चा की गई। मुख्य तौर से वर्ष 2023-24 में आरम्भ होने वाले नये सत्र में व्यावसायिक शिक्षा को पारदर्शिता के साथ तथा इस फील्ड में अच्छा अनुभव रखने वाले ‘ट्रेनिंग्स पार्टनर्स‘ के साथ कार्य करने के लिए ‘एसओपी‘ बनाने पर विचार किया गया। शासन सचिव जैन ने आशा जताई कि नए सत्र के लिए आगामी 15 दिन में व्यावसायिक शिक्षा सम्बन्धी दिशा-निर्देश तैयार कर लिये जायेंगे, जिससे विद्यार्थियों को भी लाभ हो सके तथा विद्यालयों में भी व्यावसायिक शिक्षा का उचित वातावरण बन सके।
बैठक में राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मोहन लाल यादव, अतिरिक्त परियोजना निदेशक राकेश गुप्ता, उपायुक्त युगान्तर शर्मा, उप निदेशक व्यावसायिक शिक्षा आरसी डूडी, उप निदेशक, बालिका शिक्षा मधु शर्मा आदि ने भाग लिया। जानकारी दी गई कि वर्ष 2015 में राजस्थान में व्यावसायिक शिक्षा का कार्यक्रम 70 विद्यालयों में प्रारम्भ किया गया था, जो 2022-23 में लगभग 2000 विद्यालयों तक पहुँच चुका है। इन विद्यालयों में कक्षा 9-12 के छात्र-छात्राओं को विभिन्न व्यवसायों एवं जॉब रोल्स का प्रशिक्षण देने के लिये निजी संस्थाओं के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षक नियुक्त किये जाते हैं। इस सम्बन्ध में यह निर्णय लिया गया कि गत वर्ष 2022-23 में प्रत्येक जिले में कुछ विद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त की गई निपुणता के सम्बन्ध में ‘थर्ड पार्टी एसेसमेंट‘ कराई जा सकती है, जिससे इस शिक्षा के स्तर का पता लगाया जा सके तथा फील्ड में इस सम्बन्ध में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं का भी समाधान हो सके।

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