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राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर की ओर से चूरू जिला मुख्यालय स्थित दादाबाड़ी सभागार पुरस्कार एवं सम्मान समारोह में राज्य के 70 हिंदी साहित्यकारों को पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किए गए। अकादमी अध्यक्ष दुलाराम सहारण, मुख्य अतिथि नामचीन लेखक वेद व्यास एवं उपाध्यक्ष सुनीता घोघरा ने साहित्यकारों को यह सूत की माला, सम्मान पत्र भेंट कर, गांधी टोपी पहनाकर एवं शॉल ओढ़ाकर पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किए।
मुख्य अतिथि नामचीन प्रगतिशील लेखक एवं राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष वेद व्यास बोले-‘वर्तमान में साहित्य को बड़ी चुनौती दक्षिणपंथी ताकतों से है, जो देश को बांटने का काम कर रही है। मैं कबीर और प्रेमचंद की प्रगतिशील परम्परा का सिपाही हूं और राजस्थान के हर आंदोलन में मेरी भागीदारी रही है। आज का लेखक भयभीत अवस्था में जी रहा है और साहित्य का जो तेवर होना चाहिए, वह दिखाई नहीं दे रहा है। आज ऐसे लेखक नजर नहीं आ रहे हैं जो दलितों और गरीबों के अधिकार के लिए मार्क्स की परम्परा को समझे, आज वो लेखक नहीं दिख रहे जो नेहरू की तर्ज पर भारत की खोज करे। साहित्यकार को कालजयी होना है तो उसे समय के सत्य को लिखना होगा। देश में संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए कलम के सिपाही को आगे आना होगा। उन्हें सच बोलना होगा और उसके बाद खतरे भी उठाने होंगे। यही साहित्य साधना है।
राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने अकादमी की ओर से साहित्य एवं साहित्यकारों के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और बताया कि अनेक नवाचार किए गए हैं, बंद पुरस्कार शुरू किए गए हैं, लंबित पुरस्कार दिए गए हैं और नए पुरस्कार भी शुरू किए गए हैं। अकादमी लेखकों एवं साहित्य की सेवा के लिए हैै। सहारण ने कहा कि लेखकों के लिए यह बोलने का समय है। उन्हें क्रूर एवं निरंकुश ताकतों के खिलाफ बोलना चाहिए। हमें बोलना होगा और बोलने के खतरे भी उठाने होंगे। उन्होंने देश की दूसरी संस्थाओं की ओर संकेत करते हुए कहा कि राजस्थान अपने हिंदी लेखकों की उपेक्षा सहन नहीं करेगा।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात हिंदी लेखक अरूण माहेश्वरी ने कहा कि हम ऐसे उलट-पलट के समय में जी रहे हैं, जहां नीयत तरीके से चीजों को खराब करने का काम किया जा रहा है। समाज में बढ़ती हुई दौलत बढ़ती हुई गरीबी के रूप में दिखाई देती है। उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना त्रासदी में हम जिन अनुभूतियों से गुजरे हैं, उसमें ऐसे आयोजन अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात हिंदी लेखिका सरला माहेश्वरी ने कहा कि आज के समय में नियंत्रण सबसे बड़ा शब्द हो गया है और सांप्रदायिक प्रदूषण के इस समय में प्रेम को व्यक्त करने वाली भाषा पर भी नियंत्राण किये जाने की कोशिशें चल रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें किताबों को बचाना है क्योंकि किताबों में मुहब्बत बची हुई है।
अमृत सम्मान से सम्मानित लेखिका लक्ष्मी रूपल ने कहा कि ईश्वर ने जब प्रतिभा बांटी तो गांव-ढाणी, महानगर का फर्क नहीं किया। ऐसे में एक छोटे शहर में यह आयोजन भी उसी तर्ज पर किया जा रहा है, जो सराहनीय है।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात लेखक नंद भारद्वाज ने कहाकि लेखक अपने समय और समाज का प्रतिनिधि होता है। वह उन मूल्यों को बचाने के लिए काम करता है, जिसकी समाज और मनुष्यता को बहुत आवश्यकता है।
अमृत सम्मान से सम्मानित लेखिका लक्ष्मी रूपल ने कहा कि ईश्वर ने जब प्रतिभा बांटी तो गांव-ढाणी, महानगर का फर्क नहीं किया। ऐसे में एक छोटे शहर में यह आयोजन भी उसी तर्ज पर किया जा रहा है, जो सराहनीय है।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात लेखक नंद भारद्वाज ने कहाकि लेखक अपने समय और समाज का प्रतिनिधि होता है। वह उन मूल्यों को बचाने के लिए काम करता है, जिसकी समाज और मनुष्यता को बहुत आवश्यकता है।
विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से सम्मानित प्रख्यात लेखक मधु आचार्य आशावादी ने कहा कि आज के दौर में जब बहुत सारी ताकतें लोगों को बांटने मंे लगी हुई हैं, ऐसे मंे साहित्य ही लोगों की संवेदनशीलता को बचाए रखने का काम कर सकता है।
मीरां पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ लेखक रत्न कुमार सांभरिया ने अपनी कृति सांप के बारे में बताया कि यह उन लोगों के बारे में हैं, जो आज भी धरती को बिछौना कर आकाश ओढ़ रहे हैं। उन लोगों की दुश्वारियां देखकर यह उपन्यास लिखा गया है।
जनार्दन राय नागर सम्मान से सम्मानित डॉ रणजीत ने कहा कि मैं प्यार और बगावत के गीत लिखता हूं। उन्होंने कहा कि अपने आप को इंसान बनाना ही साहित्य का उद्देश्य है। सम्मान समारोह से अभिभूत डॉ रणजीत ने कहा कि बहुत बरसों से इतना अच्छा काम नहीं देखा, ऐसा काम अकादमी में हो रहा है।
जनार्दन राय नागर सम्मान से सम्मानित डॉ रणजीत ने कहा कि मैं प्यार और बगावत के गीत लिखता हूं। उन्होंने कहा कि अपने आप को इंसान बनाना ही साहित्य का उद्देश्य है। सम्मान समारोह से अभिभूत डॉ रणजीत ने कहा कि बहुत बरसों से इतना अच्छा काम नहीं देखा, ऐसा काम अकादमी में हो रहा है।
इससे पूर्व अकादमी अध्यक्ष दुलाराम एवं उपाध्यक्ष डॉ सुनीता घोघरा ने किताबों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अकादमी के कोषाध्यक्ष कमल शर्मा ने स्वागत भाषण के साथ अकादमी का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उपाध्यक्ष डॉ घोघरा ने आभार जताया। संचालन साहित्यकार संदेश त्यागी एवं राजूराम बिजारणियां ने किया।
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक पीसी सामौर, सरिता भारत ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस दौरान नोहर से पवन शर्मा, शमशाद अली, डॉ सुरेंद्र सोनी, रामकुमार घोटड़, सत्यनारायण शांडिल्य, कमल कोठारी, प्रो. एचआर इसराण, डॉ सुमेर सिंह, डॉ गंगासहाय मीणा, राजेंद्र मुसाफिर, सुधींद्र शर्मा, विनीत ढाका, लालचंद चाहर, डॉ उम्मेद गोठवाल, विकास मील, हेमंत सिहाग सहित अकादमी की सरस्वती सभा एवं संचालिका सदस्य, प्रदेश भर से आए साहित्यकार एवं सुधी साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक पीसी सामौर, सरिता भारत ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस दौरान नोहर से पवन शर्मा, शमशाद अली, डॉ सुरेंद्र सोनी, रामकुमार घोटड़, सत्यनारायण शांडिल्य, कमल कोठारी, प्रो. एचआर इसराण, डॉ सुमेर सिंह, डॉ गंगासहाय मीणा, राजेंद्र मुसाफिर, सुधींद्र शर्मा, विनीत ढाका, लालचंद चाहर, डॉ उम्मेद गोठवाल, विकास मील, हेमंत सिहाग सहित अकादमी की सरस्वती सभा एवं संचालिका सदस्य, प्रदेश भर से आए साहित्यकार एवं सुधी साहित्यप्रेमी मौजूद थे।