




भटनेर पोस्ट डेस्क.
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने हालिया बीकानेर दौरे के दौरान एक ऐसा बयान दिया है, जिसने शिक्षा निदेशालय में वर्षों से जमे बैठे कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। दिलावर ने स्पष्ट कहा कि जो कार्मिक पिछले 5 वर्षों या उससे अधिक समय से एक ही सीट पर जमे हुए हैं, उन्हें हटाया जाएगा। यदि उनके इन निर्देशों की कड़ाई से पालना होती है, तो प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की तकरीबन 80 प्रतिशत कुर्सियाँ बदल जाएंगी।
शिक्षा विभागीय परीक्षाएं, प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर में फिलहाल लगभग 641 कर्मचारी कार्यरत हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से 500 से अधिक कर्मचारी पांच वर्षों से भी अधिक समय से एक ही स्थान पर पदस्थापित हैं। इस सूची में सिर्फ कनिष्ठ कर्मचारी ही नहीं, बल्कि डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी), डीडी (उप निदेशक) जैसे उच्च अधिकारी भी शामिल हैं।
पहले भी हो चुके हैं निर्देश, कार्रवाई शून्य
यह पहली बार नहीं है जब शिक्षा मंत्री ने इस दिशा में पहल की हो। इससे पहले भी दिलावर ने स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से मौखिक निर्देश दिए थे कि शिक्षा निदेशालय में पदस्थ शिक्षकों को वापस स्कूलों में भेजा जाए। लेकिन उन निर्देशों की कोई ठोस क्रियान्विति नहीं हो सकी। अबकी बार उन्होंने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है।

क्या है नियम ?
प्रशासनिक सुधार विभाग के अनुसार, किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को सामान्य स्थिति में तीन वर्ष और विशिष्ट स्थिति में पाँच वर्ष से अधिक समय तक एक ही पद पर नहीं रखा जा सकता। यह नियम न केवल शिक्षा निदेशालय, बल्कि शासन सचिवालय, आयुक्तालय और अधीनस्थ कार्यालयों पर भी समान रूप से लागू होता है।
रिक्त पद भी बड़ी चुनौती
वर्तमान में प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में स्वीकृत पदों में से 47 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं। इसका सीधा असर विभागीय कामकाज की रफ्तार पर पड़ता है। कई अनुभागों में काम समय पर पूरा नहीं हो पाता, जिससे नीतिगत फैसलों से लेकर फील्ड तक योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी होती है।


