




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास के विभिन्न ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तड़के पांच बजे बड़ी कार्रवाई शुरू की। दिल्ली मुख्यालय से आई ईडी की टीमों ने जयपुर सहित एक अन्य राज्य में कुल 19 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। कुछ ही देर में जयपुर की टीमें भी इस कार्रवाई में शामिल हो गईं। यह कार्रवाई पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है, जिसमें कुल 2850 करोड़ रुपये के फंड ट्रांसफर और निवेश की जांच हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, यह रकम प्रताप सिंह खाचरियावास और उनके परिजनों के खातों से होते हुए विभिन्न प्रॉपर्टी डील्स और अन्य क्षेत्रों में निवेश की गई है।
पीएसीएल एक रियल एस्टेट कंपनी थी, जिसने 17 वर्षों तक पूरे भारत में जमीन खरीदने और बेचने के नाम पर आम जनता से भारी निवेश जुटाया। यह कंपनी खासकर ग्रामीण और निम्न मध्यमवर्गीय निवेशकों को ऊंचे रिटर्न्स का झांसा देकर पैसा इकट्ठा करती रही।
राजस्थान में ही 28 लाख से अधिक निवेशकों ने करीब 2850 करोड़ रुपये इस कंपनी में लगाए थे। वहीं देशभर में यह आंकड़ा 5.85 करोड़ निवेशकों और लगभग 49,100 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा।
सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने 22 अगस्त 2014 को पीएसीएल की सभी योजनाओं को अवैध करार देते हुए कंपनी के सारे कारोबार बंद कर दिए थे। इसके बाद निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास ही फंसी रह गई। जनता की आवाज सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। अदालत ने 2 फरवरी 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की, जिसे आदेश दिया गया कि वह पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम कर निवेशकों को छह महीने में ब्याज सहित भुगतान सुनिश्चित करे। सेबी के अनुसार, पीएसीएल की कुल संपत्ति लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, जो निवेशकों की जमा राशि से चार गुना अधिक है।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि पीएसीएल से संबंधित लगभग 30 करोड़ रुपये की राशि प्रताप सिंह खाचरियावास और उनके परिजनों के खातों में ट्रांसफर हुई थी। यह पैसा सीधे या परोक्ष रूप से अचल संपत्तियों और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में लगाया गया है। ईडी के सूत्रों का कहना है कि छापेमारी के दौरान डिजिटल दस्तावेजों, बैंक खातों की जानकारी और संपत्ति के कागजात की गहन जांच की जा रही है। जब तक कार्रवाई पूरी नहीं होती, तब तक रिकवरी या गिरफ्तारी के संबंध में कोई अंतिम टिप्पणी नहीं की गई है।
गौरतलब है कि पीएसीएल घोटाले का सबसे पहले खुलासा जयपुर में हुआ था, जहां इस मामले में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी। उसके बाद बिहार, महाराष्ट्र, एमपी, असम, कर्नाटक, पंजाब, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में इस कंपनी के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए।
