




भटनेर पोस्ट सिटी डेस्क.
राजस्थान दिवस के मौके पर हनुमानगढ़ टाउन स्थित सेंट्रल पार्क का नज़ारा बिल्कुल बदला हुआ था। लोक संस्कृति की खुशबू और कवियों के भावपूर्ण शब्दों ने इस सांस्कृतिक संध्या को यादगार बना दिया। राजस्थान की धड़कन मानी जाने वाली लोककलाएं जब मंच पर उतरीं, तो हर कोई ठुमकने पर मजबूर हो गया। कार्यक्रम की शुरुआत राजस्थान के प्रसिद्ध चरी नृत्य से हुई, जहां सिर पर जलते हुए मटकों के साथ कलाकारों ने अद्भुत संतुलन और कला का प्रदर्शन किया। कच्छी घोड़ी नृत्य ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, जब कालबेलिया नृत्य में नागिन सी लचकती अदाएं मंच पर छाईं तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साह बढ़ाया।
‘भवाई नृत्य’ की मोहक प्रस्तुतियों ने सबको रोमांचित कर दिया। लेकिन जब रुखसाना ने ‘घूमर छै नखराली’ की धुन पर अपनी प्रस्तुति दी, तो सेंट्रल पार्क में मानो राजस्थानी संस्कृति का जीवंत रंग बिखर गया। कलाकारों की मोहक अदाएं और घूमर की लयकारी ने दर्शकों को बांधकर रख दिया।
कवि सम्मेलन में शब्दों का जादू
लोक नृत्य के बाद कवि सम्मेलन की महफिल जमी। शब्दों के जादूगरों ने जब अपनी रचनाओं को मंच पर उतारा तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। जाने-माने शायर नदीम शाद की पंक्तियां “मुश्किल आन पड़े तो घबराने से क्या होगा, रास्ता निकाल, मर जाने से क्या होगा।’ सुनाया तो हर कोई ‘वाह-वाह’ कहने के लिए मजबूर हुआ। इन पंक्तियों ने जीवन संघर्ष की प्रेरणा दी और श्रोताओं के दिलों को छू लिया।
जाने-माने शायर चराग शर्मा ने अपने जोशीले अंदाज में शायरी सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, रूपसिंह राजपुरी ने अपने खास राजस्थानी अंदाज में हंसी और ठहाकों का माहौल बनाया। जाने-माने शायर राजेश चड्ढ़ा व डॉ. प्रेम भटनेरी ने अपनी गजलों में शेरो-शायरी की मिठास घोल दी, जिससे माहौल और भी संजीदा हो गया।
इन्होंने की शिरकत
जिला कलेक्टर काना राम, एसपी अरशद अली, एडीएम उम्मेदी लाल मीना, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू, भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष कैलाश मेघवाल, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष देवेंद्र पारीक, जिला उपाध्यक्ष विकास गुप्ता, नगर परिषद आयुक्त सुरेंद्र यादव, पर्यटन अधिकारी पवन शर्मा, एपीआरओ राजपाल, सीडीईओ पन्नालाल कड़ेला और आईसीडीएस डीडी प्रवेश सोलंकी आदि।
राजस्थान दिवस पर सांस्कृतिक संगम
सेंट्रल पार्क में राजस्थान की लोककला, साहित्य और संस्कृति का यह संगम न केवल मनोरंजन का माध्यम बना, बल्कि नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत से परिचित कराने का एक सुनहरा अवसर भी बना। हनुमानगढ़ टाउन के देवकीनदंन चौधरी ने कहा-‘यह कार्यक्रम राजस्थान की समृद्ध परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करने में सफल रहा। इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए।’ सामाजिक कार्यक्रम आशीष गौतम ने कहा-‘घूमर छै नखराली’ की गूंज और कवियों के शब्दों की मिठास से सजी इस सांस्कृतिक शाम ने हनुमानगढ़वासियों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ दी। यह एक सधा हुआ कार्यक्रम था। साल में तीन-चार बार अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम हों तो नई पीढ़ी भी माटी की महक महसूस करेगी।’

