
भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं मरूधरा साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में मकर संक्रांति पर्व के उपलक्ष्य में जंक्शन के दुर्गा मंदिर धर्मशाला परिसर स्थित कागद पुस्तकालय में काव्य गोष्ठी हुई। चाणक्य क्लासेज के निदेशक राज तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी में कवियों व शायरों ने जिंदगी के विभिन्न रंगों व समाज के विभिन्न मुद्दों पर गीत, कविता व शायरी पढ़ी। गोष्ठी का आगाज जयसूर्या ने ‘समेट लेना बिखरे हुए रिश्तों को’ कविता से किया। त्योहार व मां की महिमा पर भी कविताएं पढ़ी। डॉ. राजवीर सिंह ने ‘कभी कट जाए पंख तो क्या हुआ, उडऩे के हुनर को जिंदा रख’ गजल के जरिए जीवन में मुश्किलों से लडऩे का संदेश दिया।
देवबाबू ने ‘गर्व करो इस वर्दी पर’ कविता के जरिए होमगार्ड जवानों की व्यथा को बयां किया। संजय शर्मा ने लोहड़ी पर्व और मां पर कविता पढ़ी। साथ ही हास्य रचना, ‘पकौड़े तलता रह गया’ सुनाई।
पत्रकार अदरीस रसहीन ने ‘जिस्म माटी हुआ, रूह का सहारा क्या है। इस फानी दुनिया में बता, हमारा क्या है।’ गजल के जरिए जिंदगी की हकीकत बयां की। इसके अलावा ‘बांधकर धागा पैरों में परिंदा उड़ाया गया है, उतना ही बोलेगा तोता जितना पढ़ाया गया है।’ गजल भी पढ़ी। इसे सुनकर सबके मुंह से बरबस वाह-वाह निकल उठा।
शायर डॉ. प्रेम भटनेरी ने अपनी गजलों से रंग जमाया। उन्होंने ‘गम को अब रुखसत कर, घर को अपने जन्नत कर तथा ‘जो है सब बेमानी है, दुनिया आनी जानी है’ जैसे शेर पढकऱ जीवन के विभिन्न रंगों से रूबरू कराया। विनोद यादव ने ‘हद से अब गुजर गई, मन जो बसी है सेल्फियां’ शीर्षक कविता के जरिए सेल्फी के चक्कर में संवेदनहीन होते लोगों पर कटाक्ष किया। सुरेन्द्र सुंदरम ने ‘शुद्ध, पुनीत, पवित्र, पावन भावों से मन भरा रहे…’ गीत सुनाकर पर्व की शुभकामनाएं दी। मोहनलाल वर्मा ने ‘आओ हम एक दीप जलाएं’ कविता पढ़ी। संस्था महासचिव व वरिष्ठ कवि नरेश मेहन ने ‘आओ धरती को स्वर्ग बनाएं’ तथा ‘मन कैकयी और कान मंथरा होते जा रहे…’ जैसी कविताएं पढकऱ प्रेम से रहने व ईर्ष्या, द्वेष से दूर रहने का संदेश दिया।