नशे को बढ़ावा दे रही सरकार!

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शंकर सोनी.
युवाओं में नशे की लत बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत में लगभग 7 करोड लोग नशे के आदी है। इनमें 17 प्रतिशत 10 से 17 वर्ष के बच्चे हैं। सरकार की तरफ से नशा मुक्ति के लिए रोज तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
नशा हमारे समाज में हमेशा से ही रहा है। पहले शराब, गांजा, अफीम, पोस्त का नशा किया जाता था। ये नशे स्वास्थ्य के लिए कम हानिकारक थे।
ब्रिटिश भारत में सरकारी आय का एक साधन शराब भी था। हमने आजादी के बाद भारत को नशामुक्त रखने का संकल्प किया। गांधी जी ने तो यहां तक कहा कि अगर शराबबंदी नहीं की जाए तो आजादी का कोई औचित्य ही नहीं है।
बापू को हमने संविधान में कैद करते हुए संविधान के नीति निदेशक तत्वों में भारत को नशामुक्त रखने का संकल्प किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की नशा उन्मूलन हेतु बनाई गई, एकल संधि पर भी भारत के हस्ताक्षर किए हुए हैं। पर यह सब किताबी सिद्धांतों की बातें हैं। धरातल पर क्या है?
शराब अब सामाजिक स्तर की श्रेणी ले चुकी है। हमारी सरकारें नशे की सबसे बड़ी व्यापारी और शराब को चाय की तरह बिकवा रही है। केंद्र और राज्य की सरकारों की आय का मुख्य साधन शराब उत्पादन से प्राप्त आबकारी शुल्क है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश में शराब की बिक्री से प्राप्त शुल्क करीब 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये था। सभी राज्यों की आय में से 15 से 30 प्रतिशत हिस्सा शराब की बिक्री से प्राप्त शुल्क से आता है।
आजकल नशा मुक्ति के लिए हर आयोजन में हर कार्यक्रम में जिला कलेक्टर और राजकीय अधिकारी नशा नहीं करने की शपथ दिला रहे है। अधिकारियों का उद्देश्य नशा मुक्ति के लिए शपथ लेने वाले लोगों की संख्या का आंकड़ा भेज कर सरकार की योजना को पूरा करने से अधिक नहीं है। इन शपथ अभियानों से नशा मुक्ति नहीं होने वाली।
वर्तमान में सिंथेटिक और मेडिकल नशा सबसे ज्यादा खतरनाक है। सफेद रंग के पाउडर जैसा दिखने वाला यह नशा एक तरह का सिंथेटिक ड्रग्स है। हेरोइन के साथ सिंथेटिक एमडीएमए, एलएसडी और मेथाम्फेटामीन, मिलाकर चिट्ठा तैयार किया जाता है। स्मैक और चिट्टे का नशा युवकों को 24 घंटे नशे में मदहोश रखता है परंतु क्रैक का नशा करने वाला युवक एक बार सेवन कर पूरे 72 घंटे नशे में टुन्न रहता है।
चिट्टा खाने के आदी युवक करीब 3-4 साल जीते हैं लेकिन क्रैक का सेवन करने वाले युवक पांच महीने से भी कम जी पाते हैं। एलप्रेक्स ट्राइका, एटीवान, लोराजीपाम, रिवोट्रील क्लोनाजीपाम ऐसी दवाएं हैं, जिनका उपयोग नशे के लिए किया जाने लगा है।
सरकार को चाहिए सिंथेटिक और मेडिकल नशे के विरुद्ध सख्त कानून बनाकर लागू करे। इस खतरनाक सिंथेटिक से नशे छुटकारा पाने के लिए शराब और पोस्त के नशे को सावधानी से चालू रखना होगा और सार्थक योजना बनाकर धीरे धीरे कम करना होगा।
सरकार को चाहिए शराब और पोस्त का उत्पादन और वितरण सुनियोजित रूप में करें। शराब और पोस्त पीनेवाले लोगों के लाइसेंस बनाए जाए। नशे की प्रवृत्ति कम करने के लिए हर राजकीय और न्यायिक नौकरियों हेतु दिए जाने वाले आवेदनों, विभिन्न निर्वाचनों के नामांकन पत्रों, राजकीय योजनाओं के लाभ लेने हेतु किए जाने वाले आवेदनों, ड्राइवर लाइसेंस हेतु में शराब या अन्य नशे का विवरण देने हेतु कॉलम बनाया जाए। सार्वजनिक स्थानों में शराब के नशे का उपभोग प्रतिबंधित किया जाए। अधिक मात्रा में नशा कर होश खोनेवाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। स्कूल से ही बच्चों को खेल ,व्यायाम और योग की ओर आकर्षित किया जाए। बच्चों में नशा नहीं करने के संस्कार डाले जाएं।
-लेखक नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक और जाने-माने अधिवक्ता हैं

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