नाटक के जरिए अभिभावकों को नसीहत, जानिए…क्या ?

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
स्टूडेंट्स को मानसिक रूप से तरोताजा रखने के लिए एसकेडी यूनिवर्सिटी के विज्ञान संकाय की ओर से नुक्कड़ नाटक का मंचन कया गया। नाटक की कहानी एक बागड़ी किसान परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई, जिसमें कम पढ़े-लिखे माता-पिता अपनी बिटिया को डॉक्टर बनने के लिए दबाव डालते है जबकि बिटिया मास कम्युनिकेशन में एडमिशन लेकर फोटोग्राफी में स्पेशलाइज़ेशन करना चाहती है। लेकिन बेटी की प्रोफेशनल फोटोग्राफर बनने की ख्वाहिश को दरकिनार करते हुए माता-पिता उसे किसी शहर के नामी-गिरामी कोचिंग सेंटर में मोटी फीस देकर दाखिला करा देते हैं। बेटी कई बार फोन पर स्पष्ट तौर पर अपने माता-पिता को बताती है कि जिस मेडिकल प्रोफेशन में सफल होने के लिए वे उस पर दबाव डाल रहे हैं, उसमें उसकी कोई रूचि नहीं। साथ ही उसकी परफॉरमेंस रिपोर्ट भी अच्छी नहीं। आखि़रकार बेटी तनाव में आकर जहर खा लेती है। तब माता-पिता को अपनी भूल का अहसास होता है। इससे पहले के मंचन में मोबाइल के अतिरेक और उसके दुष्परिणाम के तौर पर पैदा होने वाले तनाव को भी दिखाया गया।
कार्यक्रम के समन्वयक एवं भौतिकी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. मोहित झांब ने बताया कि इस सार्थक पहल से विद्यार्थियों में सकारात्मक सन्देश गया है जिससे वे मोबाइल के अनावश्यक प्रयोग से दूर रह सके। रसायन विभाग की सहायक आचार्य मनवीर कौर, वनस्पति शास्त्र विभाग की सहायक राज कौर ने कार्यक्रम में सहयोग किया। नुक्कड़ नाटक में विज्ञान संकाय के प्रदीप कुमार, गुरप्रीत कौर, अमनदीप कौर, पारुल, अन्नू, विचित्रा, भगवान सिंह, परगट सिंह, तथा विशाख ने अपनी जीवंत और दमदार अभिनय शैली से उपस्थित दर्शकों को रोमांचित किया।
इस अवसर पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. श्यामवीर सिंह, विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण और छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा ने भी विद्यार्थियों को वर्तमान परिवेश पर सम्बोधित किया।

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