



डॉ. अर्चना गोदारा.
बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि कुछ व्यक्तियों की नौकरी या व्यवसाय बहुत कम उम्र में स्थित हो जाता है। परंतु बहुत से ऐसे बुद्धिमान और मेहनती व्यक्ति रह जाते हैं जिनका ना तो कोई व्यवस्था स्थित हो पाता है और ना ही कोई उन्हें रोजगार प्राप्त हो पाता है। उसके बाद वह अपने किस्मत को दोष देने लगते हैं और सामने वाले की मेहनत को दरकिनार कर उसे किस्मत वाला कहने लगते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और सोचने वाली बात यह है कि ऐसा क्यों होता है? क्योंकि कोई भी सफलता रातों-रात नहीं मिलती है जबकि मेहनत दोनों ही बराबर कर रहे होते हैं, परंतु कुछ को सफलता मिलती है और कुछ को सफलता नहीं मिलती। यह असफ़लता बहुत बार अपराधियों को जन्म देती है जो कि एक व्यक्ति, परिवार, समाज और देश सभी के लिए चिंता का विषय है। वर्तमान परिदृश्य में यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। इसका प्रमुख कारण है कि स्कूल समाप्ति के बाद विद्यार्थी अपनी- अपनी पसंद और इच्छा के अनुसार अलग-अलग महाविद्यालयों में प्रवेश लेते हैं और अपने पसंदीदा विषय को चुनते हैं, परंतु केवल 10 या 20 प्रतिशत विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो उस पाठ्यक्रम को बड़ी सूक्ष्मता और गहनता के साथ पढ़ते हैं। अधिकांश विद्यार्थी महाविद्यालय की पढ़ाई को बहुत ही हल्के में लेते हैं। कुछ विद्यार्थी महाविद्यालय में प्रवेश के बाद कोचिंग संस्थानों में भी प्रवेश ले लेते हैं। ऐसे में उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता है। यह स्थिति ठीक उसी प्रकार है जैसे बिना नींव के मकान बनाना। बिना नींव के बनाया गया मकान कभी भी सुरक्षित नहीं रहता तथा उसके अंदर मजबूती नहीं रहती। ठीक इसी प्रकार महाविद्यालय का पाठ्यक्रम भविष्य की नींव के समान होता है जो भविष्य में मिलने वाले रोजगार के लिए आधार को बनता है।

जब तक मकान की नींव मजबूत नहीं होती तब तक मकान मजबूत और रहने लायक नहीं होता। ठीक उसी प्रकार से महाविद्यालय के पाठ्यक्रम को जब तक उचित प्रकार से, सूक्ष्म और गहन तरीके से नहीं पढ़ा जाता तब तक भविष्य में रोजगार के लिए होने वाले परीक्षाओं की पूर्ण रूप से तैयारी नहीं हो पाती। यही कारण है कि पूर्व में महाविद्यालय की पढ़ाई को अनदेखा किया जाता है और जब परीक्षाओं में बार बार असफलता मिलती है तो उसके बाद वास्तविक कमी को तलाशने के बजाय व्यक्ति अपनी किस्मत को दोष देने लगता है। वह अवसाद में जाने लगता है और एक समय के बाद उसे पढ़ाई करना कठिन लगने लगता है और रोजगार धीरे-धीरे उसके हाथों से फिसलता चला जाता है।

किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए विद्यालय और महाविद्यालय की पढ़ाई का गहन अध्ययन बहुत ही आवश्यक है। कोचिंग संस्थानों को सफलता का द्वारा माना गया है क्यों कि कोचिंग संस्थान भी सफलताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोचिंग संस्थानों में सफलता तक प्राप्त हो सकती है। जब विद्यार्थी अपने विद्यालय और महाविद्यालय की पढ़ाई को पूर्ण करने के पश्चात वहां जाता है। कोचिंग संस्थान प्रतियोगिता परीक्षा के पाठ्यक्रमों को दोहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोचिंग संस्थानों में बिंदुओं को बार-बार रटाया जाता है। उन्हें सूक्ष्म तरीके से नहीं समझाया जाता और कोचिंग संस्थानों में पढ़ने का समय बहुत कम होता है, जबकि विद्यालय और महाविद्यालय में पढ़ाई के लिए बहुत लंबा समय दिया जाता है। उस लंबे समय में एक-एक बिंदु को गहनता से समझा जा सकता है तथा वहां पढ़ाई के अलावा अन्य क्रियाएं भी करवाई जाती हैं, जो बहुत से बिंदुओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। केवल किताबी ज्ञान ही व्यक्ति को सफलता नहीं दिलाता है। बहुत सारी क्रियाएं भी व्यक्ति को सिखाने में मदद करती हैं। जो न केवल सिखाती है बल्कि विद्यार्थी के मस्तिष्क को भी तेज करती हैं और उन्हें मेहनत करने की आदत भी डालती हैं इसके साथ ही नए-नए उपायों को भी बताती है।

हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ ना कुछ विशेषताओं को लेकर आता है तथा उसके सीखने और समझने की शक्ति भी अलग-अलग होती है। व्यक्ति को अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को समझना चाहिए और उसे यह समझना चाहिए कि किस प्रकार की मेहनत उसे सफलता दिला सकती है। उन्हें सफल व्यक्तियों की मेहनत को जानने का प्रयास करना चाहिए। किस्मत को दोष के स्थान पर कमियों को तलाशना चाहिए। उन कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए तथा सफलताओं के लिए नए रास्तों को चुनना चाहिए।

अपने भाग्य को दोष देना और दूसरे की मेहनत को भाग्य का नाम देना केवल बचाव का एक उपाय मात्र है। इससे व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित करने का प्रयास करता है, परंतु यह स्थिति उसे अवसाद में ले जाती है और सफलताओं के रास्ते से वह भटकना प्रारंभ हो जाता है। धीरे-धीरे स्थिति ऐसी आती है की सफलताएं उससे कोसों दूर हो जाती हैं। जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। बस हमें यह देखना है कि हमारे प्रयासों में कहां कमी है और उन प्रयासों को कब और कितना जल्दी सुधारा जा सकता है। सफलताएं हमेशा हमारे आस-पास ही होती हैं। बस कमी होती है तो उन्हें पहचानने की। उन्हें प्राप्त करने के लिए सही मंत्र. सही मेहनत और सही रास्ते का चुनाव करना आवश्यक है। इसलिए हमेशा अपने शिक्षक की बातों का सम्मान कीजिए। उनसे ज्ञान लीजिए और उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलने का प्रयास कीजिए।
जीवन इतना भी मुश्किल नहीं, जितना बना दिया जाता है।
सफलताएं इतनी भी मुश्किल नहीं,
जितनी बना दी जाती हैं।
सही ज्ञान, सही शिक्षक और सही रास्ते का चुनाव कीजिए। सफलताएं निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगीं।
-लेखिका राजकीय एनएमपीजी कॉलेज हनुमानगढ़ में समाजशास्त्र की सहायक आचार्य हैं।


