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बीकानेर संभाग में पोटाश के भंडार मौजूद हैं। इनमें हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू और बीकानेर जिले के कई क्षेत्रों में पोटाश के भंडार हैं। आने वाले समय में खनन कार्य शुरू होने से इन क्षेत्रों की खुशहाली के नए द्वार खुल सकेंगे। हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो सतीपुरा, जंडावाली नॉर्थ ब्लॉक, जंडावाली साउथ ब्लॉक, खुंजा नॉर्थ-वेस्ट ब्लॉक, जोड़कियां साउथ ब्लॉक व लखासर आदि में पोटाश का खनन प्रस्तावित है। इसी तरह श्रीगंगानगर जिले में भरूसरी, जैतपुर में भी पोटाश की भारी मात्रा उपलब्ध है। खान एवं भू-विज्ञान व उद्योग विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वीनू गुप्ता कहती हैं कि राज्य में पोटाश खनिज के खनन से विदेशों से आयात पर निर्भरता कम होने के साथ ही हजारों करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की भी बचत हो सकेगी। उन्होंने बताया कि देश में पोटाश खनिज डिपाजिट्स के आरंभिक खोज परिणामों के अनुसार देश का 95 प्रतिशत से भी अधिक पोटाश के भण्डार राजस्थान में संभावित है। उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के चुरू, बीकानेर, हनुमानगढ और श्रीगंगानगर जिलों के नागौर जिले में पोटाश की प्रचूर मात्रा है। देश में करीब दस हजार करोड़ से अधिक के पोटाश का मुख्यतः कनाड़ा, बेलारुस, रसिया, जार्डन आदि से आयात किया जा रहा है। इसके साथ की कुछ मात्रा में इजराइल, सउदी अरब, जर्मनी आदि से भी आयात होता है।
निदेशक माइंस एवं पेट्रोलियम संदेश नायक ने बताया कि घड़सीसर और खीदरपुर पोटाश ब्लॉक के कंपोजिट लाइसेंस की ई ऑक्शन की कार्यवाही 31 जुलाई को आरंभ कर दी गई है। 16 अगस्त तक टेंडर डाक्यूमेंट की बिक्री की जाएगी वहीं 4 सिंतबर को पात्र निविदादाताओं द्वारा बोली लगाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि ई-नीलामी की पूरी कार्यवाही भारत सरकार के ई पोर्टल के माध्यम से की जा रही है और देश दुनिया में कहीं से भी कोई भी ई-नीलामी में हिस्सा ले सकता है।
नायक ने बताया कि घडसीसर पोटाश ब्लॉक सरदार शहर तहसील से लगभग 30 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 11.72 वर्ग किमी है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा न किये गए सर्वेक्षण मे बोरहोल पी-34 में पोटाश के 2 जोन पाए गए हैं जिनकी कुल मोटाई 10.29 मीटर है तथा औसत ज्ञः 3-03ः तथा 4.55ः है। उक्त बोरहोल में पोटाश खनिजीकरण 587.88 से 695.53 मीटर गहराई पर पाया गया है। इसी तरह से खीदरपुर ब्लॉक गंगापुर, जिला सवाईमाधोपुर से लगभग 20 किमी दूरी पर स्थित है एवं इसका क्षेत्रफल 9.464 वर्ग किमी है।
इन क्षेत्रों में होता है पोटाश का उपयोग
डीएमजी संदेश नायक ने बताया कि कृषि क्षेत्र में उर्वरक के रूप में पोटाश का प्रयोग प्रमुखता से होता है, पोटाश, नाईट्रोजन व फास्फोरस के बाद तीसरा महत्वपूर्ण घटक है। उर्वरक के अलावा पोटाश का अन्य उपयोग ग्लास, बारूद, रसायन व पेट्रोरसायन आदि बनाने में भी किया जाता है। वर्तमान में भारत पोटाश के लिए पूर्णतः आयात पर निर्भर है, क्योंकि भारत में खनिज पोटाश का कहीं भी खनन नहीं हो रहा है। कनाड़ा, रूस, बेलारूस, चीन, इजरायल, जार्डन आदि प्रमुख पोटाश उत्पादक देश है।