लक्ष्मणरेखा’ लांघने के मूड में घग्घर का पानी, जानिए..कैसे ?

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
घग्घर का पानी सैद्धांतिक तौर पर अपनी जगह सही है। वह अपने पूर्व निर्धारित बहाव क्षेत्र से होकर गुजरना चाहता है। लेकिन उसकी यह जिद व्यवहारिक तौर पर ठीक नहीं। उसे पता होना चाहिए कि भारत के कानून यानी सरकार ने अब उसके लिए ‘लक्ष्मणरेखा’ खींच दी है। बांध को क्रॉस कर शहर में बर्बादी का मंजर दिखाने की जिद ठीक नहीं। घग्घर नदी बंधे तोड़कर जिस जगहों को ‘स्पर्श’ कर अपनी यादें ताजा करना चाहती हैं, वहां पर अब इमारतें हैं, आवास हैं, दुकानें हैं। मनुष्य नहीं समझ पाया तो क्या कुदरत भी न समझे ?
जी हां। हरियाणा से राजस्थान की तरफ पानी की बढ़ती आवक अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुकी है। साल 1995 में आई बाढ़ के वक्त कुल 40 हजार 300 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जिससे दिक्कत आई थी। शुक्रवार को 40 हजार 500 क्यूसेक पानी रिलीज हुआ यानी 1995 से 200 क्यूसेक ज्यादा। यह दीगर बात है कि हरियाणा से अभी और पानी छोडे जाने की संभावना है। ऐसे में आने वाले समय में हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर के नाली बेल्ट में बेचैनी बरकरार रहेगी। पानी की वास्तविक स्थिति को देखें तो इस वक्त घग्घर साइफन से 26000 क्यूसेक पानी आ रहा है जो गुरुवार से करीब 5508 क्यूसेक ज्यादा है।

कलक्टर रुक्मणि रियार कहती हैं, ‘पानी की बढ़ती आवक के बावजूद हम बेहतर से बेहतर करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इस वक्त नाली बेड में 6400 क्यूसेक पानी चला रहे हैं। जीडीसी में 14 हजार 500 क्यूसेक पानी चला रहे हैं। 4500 क्यूसेक पानी घग्घर से इंदिरा गांधी नहर में डायवर्ट कर रहे हैं। इसी से हम शहर को बचाने में अब तक सफल रहे हैं। हमारी टीम दिन-रात निचले क्षेत्रों का दौरा कर रही है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत केंद्रों का सुचारू संचालन हो रहा है। नागरिकों का बखूबी सहयोग मिल रहा है। फिर भी पानी का आंकड़ा चिंताजनक है, इसलिए हमें और 48 घंटे बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है।’
कलक्टर रुक्मणि रियार मानती हैं कि संभावित आपदा से निपटने के लिए दो चरणों में काम करना पड़ता है। पहला चरण बेहद संतोषजनक रहा है। अब हम दूसरे चरण पर फोकस कर रहे हैं। इसलिए शहर में काम करने वाले सामाजिक संगठनों से आग्रह किया है कि अब वे अपनी भूमिका को लेकर तत्परता दिखाएं। सामूहिक प्रयासों से ही इस संभावित आपदा से निपटा जा सकता है।
कलक्टर के मुताबिक, अब तक करीब 3000 लोगों को निचले क्षेत्र की आबादी से राहत केंद्रों में शिफ्ट किया है। पीने के लिए शुद्ध पानी, भोजन और दवाइयों की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है। कलक्टर रुक्मणि रियार पब्लिक से कहती हैं, ‘आप किसी तरह से घबराएं नहीं। सतर्क रहें। प्रशासन हर वक्त आपके साथ है। इस पूरे प्रयास में आप हमारी जितनी मदद कर सकते हैं, करें। हम सब मिल जुलकर ही इस आपदा का सामना सफलतापूर्वक कर सकेंगे।’

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