मूक-बधिर स्टूडेंट की मांग, कहा-बाजार में बिकने वाले उत्पादों पर सांकेतिक भाषा का हो प्रयोग

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

‘मैं चुप हूँ तो क्या, कान नहीं तो क्या, मैं आँख और हाथों से बहुत कुछ व्यक्त कर सकती हूँ। जैसे ही कविता की इस पंक्ति को बी.एड. स्पेशल एजुकेशन एचआई की छात्रा कंचन एवं शिक्षिका ज्योति मिश्रा ने शब्दों और सांकेतिक भाषा में प्रस्तुत किया, सभागार तालियों से गूँज उठा। अवसर था इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिहैबिलिटेशन साइंसेस एंड रिसर्च (आईआरएसआर) की ओर से गुणवत्तापरक शिक्षा के अग्रणी केंद्र श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय परिसर में विश्व बधिर दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम के आयोजन का। 

उप कुलपति प्रो. वैभव श्रीवास्तव ने कहा कि बधिर बच्चे विकलांग नहीं होते, वे सभी कार्य कर सकते हैं सिवाय सुनने और बोलने के। उन्होंने बताया कि शारीरिक अक्षमता किसी सफलता में बाधा नहीं होती। अगर हम अपने स्तर पर सांकेतिक भाषा को बढ़ावा दें, तो उनको भी मुख्य धारा में रखना संभव है। उन्होंने विकलांगता की बजाय उनकी क्षमताओं पर ध्यान देने की अपील की।
श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन दिनेश कुमार जुनेजा ने कहा कि हमें हमारे मन के भीतर सभी नागरिकों और विशेष तौर पर दिव्यांग जनों के प्रति सद्भाव और विशेष संवेदना जागृत करनी होगी जिससे ये सभी राष्ट्र के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दे सके।

कार्यक्रम में डी.एड. स्पेशल एजुकेशन एचआई के मूक बधिर छात्र अमन चैन ने सांकेतिक भाषा में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि बाजार में बिकने वाले सभी प्रकार के उत्पादों पर सांकेतिक भाषा का प्रयोग होना चाहिए जिससे मूक बधिर व्यक्तियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

इससे पूर्व विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण ने बधिर जागरूकता के बारे में स्टूडेंट्स को जानकारी दी जिसमें कान की देखभाल और सावधानियों पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने प्रश्नोत्तरी के माध्यम से स्टूडेंट्स से रोचक बातें साझा की। इस अवसर पर आईक्यूएसी सेल से डॉ. पवन वर्मा और छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. संजय मिश्रा, फैकल्टी मेंबर्स दीपिका द्विवेदी, अंकिता जैन, मोनिका, मनीष कुमार, रिप्पन कुमार, पुरुषोत्तम सोलंकी और स्टूडेंट्स उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *