भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
हनुमानगढ़ में भाजपा कार्यकर्ता अपनी पार्टी के ‘परिवारवाद’ पर सवाल उठाने लगे हैं। उम्मीदवारों की तीसरी लिस्ट घोषित होने और उसमें पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप का नाम न देख कार्यकर्ताओं के मन में गुबार देखा गया। हालांकि कोई भी कार्यकर्ता सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से बचता नजर आया लेकिन अनौपचारिक बातचीत में स्वीकार किया कि परिवारवाद के नाम पर टिकट नहीं देने का फैसला ढकोसला साबित हुआ है।
जंक्शन अनाज मंडी की एक दुकान पर चुनावी चर्चा के दौरान एक कार्यकर्ता ने नाम गिनाते हुए भाजपा नेतृत्व की सारी पोल खोल कर रख दी। बकौल कार्यकर्ता, ‘किरोड़ीलाल मीणा की उम्र कितनी है ? सवाईमाधोपुर से पार्टी ने उनको टिकट दिया है। उनके भतीजे राजेंद्र मीणा को महवा से टिकट दिया है। एक परिवार में दो टिकट। उम्र के बंधन भी टूट गए।’
दूसरे कार्यकर्ता ने उन्हें टोकते हुए कहा-‘रूक जा यार! तुम्हें सवाईमाधोपुर की पड़ी है। पड़ोस की सादुलपुर सीट दिखाई नहीं पड़ती क्या ? सुमित्रा पूनिया कौन है? जानते हो क्या ? नंदलाल पूनिया की पुत्रवधू है। बात करते हो।’
बाकी ने इस बात पर सहमति जताई तो तीसरे से रहा नही गया। बोला-‘अलवर के पास रामगढ़ है न! वहां से पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के भतीजे जय आहूजा को टिकट दिया है। और बता दूं। सादुलशहर को तो अप्पन भूल ही गए। वहां से पूर्व विधायक गुरजंट सिंह के पोते गुरवीर बराड तो कोलायत में देवीसिंह भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर को टिकट दिया है। परिवार से टिकट नहीं देने की बात तो सिर्फ बहाना है। ताकतवर आदमी के लिए कोई नियम नहीं है। कमजोर के लिए दस बहाने हैं।’
इतने में पहले वाले ने पूछ लिया-‘क्या अपने डॉक्टर साब कमजोर हैं?’ सब एक दूसरे का मुंह देखने लग गए ? तभी एक बुजुर्ग ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा-“लाडी, किस्मत भी कोई चीज होवे है। आ के कम कमजोरी वाली बात है?”