किसानों ने खोल दिया मोर्चा, ये हैं मांगें…!

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

बीटी कॉटन बीज कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए किसानों ने आज यानी 11 सितंबर को हनुमानगढ़ कलक्टर कार्यालय के सामने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। किसानों ने बीटी कॉटन बीज कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने और किसानों को मुआवजा देने की मांग को लेकर महापड़ाव का एलान कर दिया।

किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष रेशमसिंह ने बताया कि इस वर्ष बीटी कपास में गुलाबी सुंडी का प्रकोप बहुत ज्यादा है। बीज कंपनियों की ओर से जब बीटी कपास का बीज बेचा गया था उस समय यह क्लेम किया गया था कि इस कपास में किसी प्रकार की सुंडी (अमेरिकन, चितकबरी एवं गुलाबी सुंडी) का प्रभाव नहीं होगा परन्तु पिछले साल से बीटी कपास पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
किसान नेता रेशम सिंह के मुताबिक, गुलाबी सुंडी के दो मुख्य कारण हैं। पहला बीटी बीजों की गुणवत्ता में गिरावट। सरकार को बीज कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। जिन बीज कंपनियों ने इस बार कम गुणवत्ता का बीज किसानों को दिया है उन्हें राजस्थान में बिक्री न करने के लिए पाबंद किया जाना चाहिए। दूसरा बीटी कपास के साथ दिया जाने वाला रिफ्यूजी बीज जो पहले अलग से दिया जाता था अब वो बीटी बीज के साथ में देना शुरू कर दिया है। उस बीज की गुणवत्ता बहुत ज्यादा खराब है।

किसान नेता रायसाहब मल्लडखेड़ा ने कहा कि गुलाबी सुंडी व अन्य कीटों का हमला सबसे पहले खराब गुणवत्ता वाले बीजों पर ही होता है फिर पूरे खेत में फैल जाता है। जो रिफ्यूजी बीज 5-10 प्रतिशत होना चाहिए उसकी मात्रा को मापने का कोई पैमाना नहीं है। इसलिए बीज कंपनियां इस बीज को ज्यादा मिला रही हैं। इसलिए इस कपास के साथ मिलने वाले रिफ्यूजी बीज को पहले की भांति अलग से दिया जाए ताकि उनकी बाहरी कतार में बिजाई कर अलग से मॉनिटर किया जा सके। रिफ्यूजी बीज भी अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए ताकि किसान को किसी प्रकार की आर्थिक हानि न हो।

किसान नेता रायसिंह बंसरीवाला के मुताबिक, पिछले साल डबली ब्लॉक में पीआई कंपनी ने गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए पीबी नॉट का डेमो लगाया था जिसमें 100 दिन तक गुलाबी सुंडी नहीं आने का दवा किया गया था। इसलिए जब तक बीटी कपास का ज्यादा प्रभावी बीज नहीं आता तब तक इस प्रकार के जो भी कारगर उपाय हैं वह किसानों को सस्ती दरों पर समय रहते उपलब्ध करवाए जाएं। इस मौके पर संदीप कंग, गुरपिन्द्र मान, अवतार बराड़, विक्रम नैन, लखवीर गुरूसर, बलविन्द्र सिंह, रामेश्वर वर्मा, गोपाल बिश्नोई, रमनदीप कौर, जसमीत भुल्लर व अन्य किसान मौजूद थे।

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