भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
राजधानी इन दिनों शक्ति प्रदर्शन का केंद्र बन गई है। कुछ महीने के दौरान अलग-अलग जातियों की महापंचायत से सियासी गलियारे में हलचल सी मच गई है। फिलहाल, हम बात कर रहे हैं अनुसूचित जाति-जनजाति महापंचायत की। वक्ताओं ने लंबित मांगों को लेकर केंद्र-राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर जताई। कार्यक्रम के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। प्रतिनिधियों का कहना था कि दलितों और आदिवासियों के वोट सबको चाहिए, लेकिन जब मांगों और अधिकार के लिए आवाज उठाएं तो जातिवाद का ठप्पा लगाकर ध्यान हटाने का प्रयास किया जाता है। यह सरकार की मानसिकता को दर्शाता है। प्रदेश में दोनों वर्गों की सबसे ज्यादा आबादी है। सरकारें इन्हें केवल वोट बैंक समझना बंद करें। मानसरोवर में वीटी रोड पर शिप्रापथ थाने के सामने मैदान में रविवार को हुई अनुसूचित जाति- जनजाति महापंचायत में यह बात विभिन्न नेताओं ने कही। महापंचायत में मंत्री टीकाराम जूली, ममता भूपेश, गोविंद राम मेघवाल, विकास परिषद के अध्यक्ष जगदीश मीणा, विधायक गंगादेवी, डीजी डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा, रिटायर्ड आईएएस बीएल आर्य, जीएल वर्मा, बीएल बैरवा, पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, राजेंद्र पाल गौतम, रामकुमार वर्मा, रामनारायण मीणा, वेदप्रकाश सोलंकी, आदिवासी मीणा समाज संघ के अध्यक्ष केसी घुमरिया, डॉ.अंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष बीएल मेहरड़ा, राजपाल मीणा ने संबोधन दिया। खिलाड़ीलाल बैरवा ने एससी आयोग द्वारा किए जा रहे कार्यों पर बात रखी। आदिवासी नेता भंवर लाल परमार ने आदिवासी क्षेत्र को अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग की। एससी एसटी महापंचायत के सचिव जीएल वर्मा ने राजस्थान सरकार के स्तर पर 22 और केन्द्र सरकार के पास 14 लंबित मांगों को जल्द पूरा करने की मांग की। महापंचायत में एससी-एसटी का आरक्षण आबादी के अनुसार 14 से 18 प्रतिशत करने, टीएसपी का आरक्षण आबादी के अनुपात में 70 प्रतिशत, आदिवासी क्षेत्र को अलग से भील प्रदेश करने सहित लंबित केसों को वापस लेने, दो अप्रेल 2018 एवं कांकरी डूंगरी आंदोलन के लंबित केसों को वापस लेने, भारत बंद के दौरान प्रदेश में एससी-एसटी के लोगों पर 322 एफआईआर वापस लेने, विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियों में एससी एसटी को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने, राज्य के सभी विभागों में बैकलॉग रिक्तियों को भी विशेष अभियान चलाकर भरने, आरक्षित वर्गों के रिक्त पदों को भरने की मांग, एससी-एसटी आयोगों को संवैधानिक दर्जा देने, आईजेएस के तहत जजों की भर्ती के साथ ही कुल 22 सूत्रीय मांगे राज्य और केंद्र सरकार से 14 सूत्रीय मांगों के निस्तारण की मांगें की गईं।