



भटनेर पोस्ट सिटी डेस्क.
शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहे, बल्कि जीवन और प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी का भी बोध कराए, इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए श्री खुशालदास विश्वविद्यालय, हनुमानगढ़ ने एक बेहद प्रेरणादायक पहल की शुरुआत की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया है कि परिसर में अध्ययनरत विद्यार्थियों के जन्मदिन पर पौधारोपण किया जाएगा। यह न केवल एक पर्यावरणीय मुहिम है, बल्कि विद्यार्थियों को प्रकृति से जोड़ने, उनके भीतर सामाजिक उत्तरदायित्व जगाने का एक अभिनव प्रयास भी है। इस अभिनव अभियान की शुरुआत योग विभाग के एम.ए. द्वितीय वर्ष के छात्र अजीत कुमार के जन्मदिन के अवसर पर हुई। विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रशासक संजीव शर्मा एवं योग विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार ने पौधारोपण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार ने छात्र को जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ प्रकृति को भी एक नई सांस दी।

पीएम और सीम की प्रेरणा से शुरू हुआ यह सफर: जुनेजा
श्री गुरु गोबिंद सिंह चौरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबूलाल जुनेजा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा स्वच्छ भारत और सघन वृक्षारोपण अभियान के आह्वान को ध्यान में रखते हुए, विश्वविद्यालय ने यह प्रेरणादायक निर्णय लिया है। जन्मदिन जैसे खास मौके पर पेड़ लगाना वास्तव में एक सार्थक और स्थायी उपहार है, अपने लिए, समाज के लिए और प्रकृति के लिए।’ उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह एक ऐसा छोटा कदम है जो जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, और वातावरण की गिरती स्थिति से निपटने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

नशा मुक्ति का संदेश भी साथ
डायरेक्टर जनरल एवं सेवानिवृत्त आई.जी. गिरीश चावला ने बताया कि पौधारोपण के साथ-साथ विद्यार्थियों को नशा मुक्त जीवन की शपथ भी दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा, ‘आज की युवा पीढ़ी को केवल शैक्षणिक ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों और सामाजिक चेतना से भी परिपूर्ण होना चाहिए। पौधारोपण और नशा मुक्ति, दोनों ही अभियान युवाओं को जीवन में सकारात्मक दिशा देने वाले हैं।’
कुलसचिव प्रो. आशुतोष दीक्षित ने कहा कि यह पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन का बीज है। उन्होंने वृक्षारोपण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘वृक्ष हमें ऑक्सीजन, फल, फूल, ईंधन, छाया और ठंडक ही नहीं देते, बल्कि वे वर्षा के लिए बादलों को आकर्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है।’ उन्होंने बताया कि यह पहल न केवल विश्वविद्यालय परिसर को हरा-भरा बनाएगी, बल्कि विद्यार्थियों के भीतर प्रकृति के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी का बीज भी रोपेगी।




