


क्या आप जानते हैं कि भारत में हर तीसरी महिला एनीमिया की शिकार है? यह सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि समाज के पोषण और जागरूकता की परीक्षा भी है। थकान, चक्कर आना, सांस फूलनाकृये संकेत हो सकते हैं उस खामोश दुश्मन के, जो शरीर को भीतर से खोखला कर रहा है। एनीमिया यानी खून की कमी, महिलाओं के लिए और भी गंभीर इसलिए है क्योंकि उनका शरीर जीवन देने की जिम्मेदारी निभाता है। इस लेख में हम बताएंगे कि एनीमिया क्यों होता है, इसके क्या लक्षण हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। आइए, समझें और खुद को व अपने परिवार को इस ‘धीमे ज़हर’ से बचाएं।
डॉ. एमपी शर्मा.
क्या आपको अक्सर थकान महसूस होती है? बिना ज्यादा मेहनत किए भी साँस फूल जाती है? या कभी-कभी चक्कर आ जाते हैं और त्वचा पीली सी लगती है? अगर हाँ, तो संभल जाइए, यह ‘खून की कमी’ यानी एनीमिया की दस्तक हो सकती है। खून की कमी क्या है? जीा हां। यह ऐसा सवाल है जिससे हर कोई जूझता है। दरअसल, हमारा खून सिर्फ एक तरल नहीं, बल्कि जीवन की ऊर्जा है। इसमें मौजूद हीमोग्लोबिन नामक तत्व ऑक्सीजन को शरीर के हर कोने तक पहुँचाता है। जब शरीर में हीमोग्लोबिन या लाल रक्त कोशिकाएँ कम हो जाती हैं, तो शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और यही स्थिति एनीमिया कहलाती है। इसका असर धीरे-धीरे शरीर की ऊर्जा, प्रतिरोधक क्षमता और यहाँ तक कि मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि भारत जैसे देश में हर तीसरी महिला और हर पाँचवाँ पुरुष इसकी चपेट में है।
स्त्री और पुरुषों में खून की कमी के अलग कारण
महिलाओं में, हर महीने होने वाली मासिक धर्म प्रक्रिया यदि असामान्य रूप से अधिक हो, तो शरीर से काफी आयरन निकल जाता है। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान माँ के शरीर को दोगुनी मात्रा में पोषण की जरूरत होती है, लेकिन अक्सर खान-पान में यह संतुलन नहीं बन पाता। प्रसव के समय खून की हानि, थायरॉइड या हार्माेन असंतुलन भी एक बड़ा कारण हो सकता है।
पुरुषों में, पेट की बीमारियाँ, जैसे अल्सर या आंतों में सूजन, जिससे धीरे-धीरे खून बहता रहता है और शरीर को पता भी नहीं चलता। क्रॉनिक बीमारियाँ, किडनी, लिवर या कैंसर जैसी स्थितियाँ शरीर की रक्त निर्माण प्रक्रिया को बाधित कर देती हैं। आंतों में कीड़े, खासकर ग्रामीण इलाकों में हुकवर्म इंफेक्शन आम है, जो खून की चोरी करता रहता है।
हमारी थाली का रिश्ता एनीमिया से
खून की कमी का सबसे बड़ा कारण आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 की कमी है। हमारी थाली यदि रंग-बिरंगी हो, हरी, लाल, पीली दृ तो बीमारी दूर रहती है।
क्या खाएँ?
आयरन युक्त भोजन: पालक, मेथी, सरसों, चुकंदर, अनार, सेब गुड़, चना, राजमा, मसूर, विटामिन बी12 स्रोत-दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली, चिकन, सोया, फोर्टिफाइड अनाज, फोलिक एसिड से भरपूर, ब्रोकली, चुकंदर, मूंगफली, बीन्स, हरी सब्जियाँ आदि। चाय और कॉफी आयरन के अवशोषण में रुकावट डालती हैं। इन्हें खाने के तुरंत बाद न लें।
खून की कमी से जुड़ी बीमारियाँ
अगर एनीमिया समय पर न सुधारा जाए, तो यह कई समस्याओं की जड़ बन जाता है, लगातार थकान, चक्कर आना, बालों का झड़ना, चेहरे की चमक खो जाना, दिल की धड़कन तेज होना, ब्लड प्रेशर गिरना, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना, गर्भवती महिलाओं में कम वजन वाला बच्चा या समय से पहले प्रसव, बच्चों में पढ़ाई में ध्यान की कमी, चिड़चिड़ापन आदि।
कैसे करें बचाव?
संतुलित आहार लें, हरी सब्जियाँ, दालें, फल, दूध आदि, खाने के साथ विटामिन सी जैसे नींबू या संतरा, ताकि आयरन अच्छे से शरीर में जाए।
नियमित जांच कराएँ: हीमोग्लोबिन की जाँच समय-समय पर जरूरी।
कीड़े मारने की दवा लें: 6 महीने में एक बार ड्वॉर्मिंग फायदेमंद
महिलाएँ खास ध्यान दें: यदि पीरियड्स में अधिक खून जाए तो डॉक्टर से मिलें
उपचार, देरी न करें
डाइट सुधारें, पहली दवा आपकी रसोई है। आयरन और विटामिन सप्लीमेंट्स, डॉक्टर की सलाह से गोलियाँ या सिरप। गंभीर स्थिति में आयरन थेरेपी या ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत पड़ सकती है। बीमारी यदि मूल कारण हो, जैसे थैलेसीमिया, किडनी की खराबी दृ तो विशेषज्ञ इलाज आवश्यक है।
लापरवाही न करें, जागरूक बनें
खून की कमी एक धीमा ज़हर है, जो धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देता है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि इसे समय रहते पहचान कर पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। एक संतुलित आहार, थोड़ी सावधानी, और समय पर इलाज, यही इसकी असली दवा है।
-लेखक जाने-माने सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं

