
भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
राजस्थान में गैर कांग्रेसी राजनीति का एक और आधार स्तंभ ढह गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिशंकर भाभड़ा का निधन राजस्थान की राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। डॉ. हरिशंकर भाभड़ा सादगी, स्पष्टवादिता व निर्भीकता के मिसाल थे। भाभड़ा दो बार विधानसभा अध्यक्ष का जिम्मा संभालने वाले विरले नेता रहे। सदन की मर्यादा बनाए रखने के लिए उन्होंने हरसंभव प्रयास किए। उनकी सज्जनता और निष्पक्षता के सभी कायल थे। विपक्ष भी उनको उतना ही सम्मान देता जितना कि सत्तापक्ष।
रतनगढ़ से विधायक रहे डॉ. भाभड़ा भैरोसिंह शेखावत सरकार में डिप्टी सीएम बने। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कहते हैं, ‘दक्ष प्रशासक, बेबाक इंसान और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति के तौर पर सदैव याद किए जाते रहेंगे भाभड़ा। उनके जाने से एक युग का अंत हो गया।’
निःसंदेह, भाभड़ा राजनीति के कद्दावर चेहरा थे। भैरोसिंह शेखावत से लेकर वसुंधराराजे की सरकार में उन्होंने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली। तीन बार विधायक, राज्यसभा सदस्य, डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। राजस्थान विधानसभा भवन निर्माण में भी उनकी प्रभावी भूमिका रही।
शरुआती चरण में आरएसएस से जुड़कर उन्होंने सेवा मार्ग में प्रवेश किया। डीडवाना से बतौर अधिवक्ता पेशे की शुरुआत की। जनसंघ में कोषाध्यक्ष और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। उन्हें कुशल संगठक माना जाता था।
भाभड़ा को अर्थशास्त्र का अच्छा ज्ञान था। यही वजह है कि भैरोसिंह शेखावत ने उन्हें वित्त विभाग का जिम्मा दिया। बाद में वसुंधराराजे ने अपनी सरकार में उन्हें वित्त आयोग का चेयरमैन बनाया।
डॉ. हरिशंकर भाभड़ा दो चीजों के बेहद शौकीन थे। एक तो किताब पढ़ने और दूसरा पान खाने के। कहा जाता है कि जब भी कोई नई किताब मार्केट में आती और भाभड़ा तक बात पहुंचती, वे फौरन उसे मंगवाने के लिए कहते। दिन भर पान चबाना उनकी आदत में शुमार था। आखिरी समय तक उन्होंने इन शौक को पूरा करने में कोई कसर नहीं रखा।