कांग्रेस के लिए दफ्तर का किराया बना सरदर्द, जानिए… क्यों ?

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भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
राजस्थान की सियासत में कांग्रेस पार्टी की मजबूती और विशाल संगठनात्मक ढांचे की बात की जाए, तो कल्पना की जाती है कि उसके पास अपने आलीशान कार्यालय होंगे, जहां से राजनीतिक रणनीतियाँ तैयार की जाती होंगी। मगर हकीकत इससे परे है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में कांग्रेस के दफ्तर किराए के भवनों में चल रहे हैं, और अब यह किराया भी पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया है। हालात ऐसे हैं कि जयपुर शहर और जयपुर देहात के जिला कांग्रेस कार्यालयों को देवस्थान विभाग की संपत्तियों में किराए पर तो लिया गया, लेकिन समय पर किराया अदा न करने के कारण अब पार्टी पर लाखों रुपये की देनदारी हो गई है। देवस्थान विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, जयपुर शहर और जयपुर देहात के कांग्रेस कार्यालयों पर 7.93 लाख रुपये से अधिक का किराया बकाया है। जयपुर शहर कांग्रेस कार्यालय पर 2.35 लाख रुपये और जयपुर देहात कांग्रेस कार्यालय पर 4.25 लाख रुपये की देनदारी पहले से ही थी। ऊपर से, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक के किराये का जोड़ लगाने के बाद यह राशि और भी अधिक हो गई। अब देवस्थान विभाग ने कांग्रेस के इन दोनों जिला कार्यालयों को नोटिस जारी कर 2 अप्रैल को पेश होने का आदेश दिया है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि अगर निर्धारित समय पर पार्टी के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं होते, तो एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।


किराये की मामूली राशि भी नहीं चुका पाई कांग्रेस
एक तरफ कांग्रेस देशभर में चुनावी रणभेरी बजा रही है, वहीं दूसरी ओर जयपुर में उसके जिला कार्यालय मामूली किराया भी नहीं चुका पा रहे। जयपुर शहर कांग्रेस कार्यालय का मासिक किराया मात्र 5,775 रुपये है, जबकि जयपुर देहात कांग्रेस कार्यालय का किराया 5,248 रुपये प्रतिमाह है। यह राशि कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के लिए ऊँट के मुँह में जीरे के समान है, लेकिन लगातार लापरवाही के चलते देनदारी बढ़ती जा रही है।
खाचरियावास के कार्यकाल की देनदारी, नये अध्यक्ष अनजान!
इस पूरे मसले पर जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष आरआर तिवाड़ी का कहना है कि उन्हें इस नोटिस की कोई जानकारी नहीं है। वे जुलाई 2023 में अध्यक्ष बने थे, जबकि किराया उनके पूर्ववर्ती अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास के कार्यकाल से बकाया चला आ रहा है। यह मुद्दा अब कांग्रेस की दिल्ली बैठक में भी उठने वाला है, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी इस पर जिलाध्यक्षों से रिपोर्ट लेंगे।


इन जिलों में कांग्रेस का अपना भवन
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के अपने स्थायी दफ्तरों की संख्या भी बहुत सीमित है। पूरे प्रदेश में केवल सात जिलों, सीकर, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, कोटा और नागौर में ही कांग्रेस के अपने भवन हैं। बाकी सभी जिलों में पार्टी किराए के भवनों में ही अपना कामकाज संचालित कर रही है।
आगे क्या ?
जानकारों का कहना है कि अगर कांग्रेस अपने इन किराए के दफ्तरों का भुगतान नहीं करती, तो देवस्थान विभाग सख्त कार्रवाई कर सकता है। क्या कांग्रेस कोई ठोस समाधान निकाल पाएगी? क्या पार्टी के लिए किराए के भवनों का बोझ और बढ़ेगा? या फिर प्रदेश नेतृत्व इस मुद्दे का स्थायी हल निकाल पाएगा? यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल, कांग्रेस को अपने संगठन के ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ अपने आर्थिक प्रबंधन पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

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