त्रुटिपूर्ण तिरंगा की एवज में मांगा हर्जाना, जानिए… क्या है मामला ?

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी ने जिला आयोग उपभोक्ता संरक्षण में केंद्रीय गृह मंत्रालय, डाक विभाग के महाप्रबंधक जयपुर, प्र्रधान डाकपाल मुख्य डाक घर हनुमानगढ़ व राष्‍ट्रीय ध्वज निर्माता के खिलाफ परिवाद दायर किया है। परिवादी शंकर सोनी ने बताया कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के ज्ञात, अज्ञात शहीदों की स्मृति को चिर स्थाई बनाए रखने के लिए हनुमानगढ़ टाउन में शहीद स्मारक का निर्माण करवाया है जहां पर राष्टीय ध्वज फहराए जाते हैं और समय-समय पर देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्वज हमारे गौरव का प्रतीक है। नियमानुसार राष्‍ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार होना चाहिए और इसका अनुपात 2ः3 होना चाहिए। ध्वज अच्छे कपड़े का बना होना चाहिए। यह क्षतिग्रस्त और अस्त-व्यस्त नहीं होने चाहिए। अगर इसका उल्लंघन होता है तो यह यह ध्वज की अवमानना की श्रेणी में आता है। किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं कि ध्वज को विरुपित, त्रुटिपूर्ण और एवं अमानक निर्माण करे। भारत सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत किसी निजी संस्थान से तैयार तिरंगा ध्वज तैयार करवाया और डाक विभाग के माध्यम से निर्धारित दरों में बेचा है।


शंकर सोनी ने बताया कि देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर उन्होंने भी राष्‍ट्रीय ध्वज खरीदे। लेकिन अफसोस की बात यह कि राष्‍ट्रीय ध्वज नियमानुसार नहीं हैं। पहली बात तो यह कि ध्वज आयताकार नहीं है। यह ध्वज किसी भी नजर से फहराने लायक नहीं है। चूंकि डाक विभाग से ध्वज खरीदे गए हैं इसलिए करीब 200 ध्वजों को सही तरीके से सिलाई कर निःशुल्क वितरित किए गए हैं जबकि 400 ध्वज और हैं जो विरुपित स्थिति में है।
शंकर सोनी ने बतायाकि डाक विभाग की ओर से विक्रय किए गए राष्‍ट्रीय ध्वज की विरुपित स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार से आरटीआई के तहत पूछा गया कि आखिर इन ध्वजों का निर्माता कौन है। लेकिन सरकार ने इनके नामों का खुलासा नहीं किया। डाक विभाग ने इन क्षतिग्रस्त और त्रुटिपूर्ण ध्वज की कीमत भी वापस नहीं लौटाई है ऐसे में यह कृत्य अनुचित व्यापार व्यवहार तथा मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में आता है। उन्होंने जंक्शन मुख्य डाकघर से ध्वज की खरीद की है। एडवोकेट शंकर सोनी ने विपक्षीगण को विरुपित ध्वज वापस लेने, नियमानुसार ध्वज उपलब्ध करवाने अन्यथा ध्वज शुल्क के तौर पर 1500 रुपए वापस दिलाने का आग्रह किया है। साथ ही त्रुटिपूर्ण ध्वज बेचने के अनैतिक एवं आपराधिक कृत्य से परिवादी को हुई मानसिक वेदना के लिए 50 हजार रुपए हर्जाना दिलाने का आग्रह किया है।

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