कांग्रेस की वरिष्ठ नेता गिरिजा व्यास का निधन, राजनीतिक जगत में शोक की लहर

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान की जानी-मानी राजनीतिक शख्सियत गिरिजा व्यास का आज शाम को अहमदाबाद के जाइडस अस्पताल में निधन हो गया। वे 80 वर्ष की थीं। पिछले कुछ दिनों से वे गंभीर रूप से बीमार थीं और आईसीयू में भर्ती थीं। बताया जा रहा है कि गणगौर पर्व के दौरान आग से झुलस जाने के बाद उनकी हालत अत्यंत नाज़ुक हो गई थी। करीब 90 प्रतिशत तक झुलसने की खबरें सामने आई थीं। इलाज के दौरान उन्हें ब्रेन हैमरेज भी हुआ था, जिसके बाद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई। अंततः गुरुवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली।
गिरिजा व्यास का राजनीतिक सफर एक प्रेरणा की मिसाल रहा है। वर्ष 1985 में उन्होंने विधायक के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और 1985 से 1990 के बीच राजस्थान सरकार में पर्यटन मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला। 1991 में उन्होंने लोकसभा में कदम रखा और उदयपुर से पहली बार सांसद चुनी गईं। इसके बाद वे उदयपुर से तीन बार और चित्तौड़गढ़ से एक बार लोकसभा सदस्य रहीं।


उनका राजनीतिक कद तब और बढ़ा जब उन्हें राजस्थान कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। वे दो बार राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं, जहां उन्होंने महिला सशक्तिकरण और महिला अधिकारों के लिए मुखर भूमिका निभाई। केंद्र सरकार में भी उन्होंने मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई और विभिन्न सामाजिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी।
राजनीति के अलावा गिरिजा व्यास एक संवेदनशील लेखिका और कवयित्री भी थीं। उनके लेखन में सामाजिक सरोकारों और नारी संवेदना की झलक स्पष्ट देखी जा सकती थी। उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित हुईं।
उनके निधन की खबर से कांग्रेस पार्टी और पूरे राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर फैल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पूर्व सीएम अशोक गहलोत समेत कई प्रमुख नेताओं ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। गिरिजा व्यास का अंतिम संस्कार उनके गृह नगर उदयपुर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच उन्हें ‘नेत्री’, ‘जननेता’ और ‘नारी शक्ति की प्रतीक’ के रूप में याद किया जाएगा।

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