



‘क्या आपको गुस्सा आता है?’ शायद यह सवाल सुनकर आपके दिमाग में वह पल तैर जाए जब आपने किसी छोटी-सी बात पर नाराजगी जता दी हो। गुस्सा इंसानी फितरत है, लेकिन जब यही गुस्सा हद से बढ़ जाए तो यह आपके शरीर और दिमाग पर ऐसा असर डालता है, जैसे आग में घी डालना। हार्ट की धड़कन तेज हो जाती है, दिमाग तनाव से भर जाता है और रिश्तों में दरार आने लगती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि गहरी सांसें लेना, हल्का संगीत सुनना और थोड़ा धैर्य रखना इस गुस्से की आग को ठंडा कर सकता है? आइए, इस लेख में समझते हैं कि गुस्से से बचाव कैसे करें और शांत दिमाग से जिंदगी को खुशनुमा बनाएं।

डॉ. एमपी शर्मा.
गुस्सा एक स्वाभाविक भावना है, लेकिन अगर यह अनियंत्रित हो जाए, तो न केवल रिश्तों पर बल्कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अचानक गुस्सा आना, धैर्य खो देना और अनाप-शनाप बोलना कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि गुस्से से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और इससे कैसे बचा जाए।
गुस्से से शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव
गुस्से के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हृदय की धड़कन तेज हो जाती है। बार-बार गुस्सा आने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। गुस्से के कारण शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन नामक स्ट्रेस हार्माेन बढ़ जाते हैं, जो हृदय को नुकसान पहुँचाते हैं। अचानक गुस्सा करने से दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन तेज हो जाता है, जिससे सिर दर्द और माइग्रेन की समस्या हो सकती है। अधिक गुस्से से मेमोरी कमजोर होती है और निर्णय लेने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। अत्यधिक गुस्सा ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकता है। गुस्से के कारण पाचन क्रिया प्रभावित होती है और एसिडिटी, गैस और अल्सर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। लगातार गुस्सा करने से लीवर और पेट के एंजाइम असंतुलित हो जाते हैं, जिससे अपच और कब्ज की शिकायत रहती है। अधिक गुस्सा करने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे बार-बार सर्दी-जुकाम, इन्फेक्शन और अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं। गुस्से के कारण शरीर में तनाव बढ़ता है, जिससे बुढ़ापा जल्दी आता है और त्वचा पर झुर्रियाँ जल्दी पड़ने लगती हैं। गुस्से के कारण नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है और अनिद्रा की समस्या हो सकती है। पर्याप्त नींद न मिलने से मस्तिष्क पर दबाव बढ़ता है, जिससे मानसिक तनाव और डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है।
शांत रहने के फायदे
हृदय स्वस्थ रहता है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। दिमाग शांत रहता है, निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है। पाचन तंत्र सही रहता है, एसिडिटी और अल्सर से बचाव होता है। इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है, शरीर कम बीमार पड़ता है। नींद अच्छी आती है, मानसिक शांति बनी रहती है। सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं।
गुस्से को नियंत्रित करने के उपाय
जब भी गुस्सा आए, 5 से 10 बार गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। यह तकनीक तुरंत दिमाग को शांत करती है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करती है। गुस्से में अनाप-शनाप बोलने से रिश्ते खराब हो सकते हैं। जब गुस्सा आए, 10 सेकंड रुकें, पानी पिएं और फिर सोच-समझकर जवाब दें। प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, और ओम बींदजपदह करने से दिमाग शांत रहता है। रोज़ाना 10-15 मिनट ध्यान करने से गुस्सा नियंत्रित रहता है। रोज़ाना 30 मिनट तक तेज़ चलना, दौड़ना या व्यायाम करना मानसिक और शारीरिक तनाव को कम करता है। व्यायाम करने से शरीर में “हैप्पी हार्माेन” बढ़ते हैं, जो मूड को बेहतर बनाते हैं। हर समस्या को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की बजाय उसमें समाधान खोजें। छोटी-छोटी बातों पर नाराज होने के बजाय बड़ी तस्वीर देखें और धैर्य बनाए रखें। मन को शांत करने के लिए हल्का और मधुर संगीत सुनना बेहद फायदेमंद होता है। गुस्से के समय भजन, श्लोक या रिलैक्सिंग म्यूजिक सुनें। हँसना मानसिक तनाव को कम करता है और शरीर को रिलैक्स करता है। कॉमेडी शो देखें, दोस्तों के साथ हल्की-फुल्की बातें करें। अगर बार-बार गुस्सा आ रहा है और उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।
सार, गुस्सा करने से शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि शांत रहने से जीवन में सुख-शांति और स्वास्थ्य बना रहता है। गुस्से को नियंत्रित करने के लिए सांस लेने की तकनीक, योग, व्यायाम, सकारात्मक सोच और संगीत जैसी विधियाँ अपनानी चाहिए। अगली बार जब भी गुस्सा आए, रुकें, सोचें और धैर्य बनाए रखें, क्योंकि शांत दिमाग ही सबसे बड़ा हथियार है।
-लेखक सुविख्यात सर्जन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं


