आज खुश होने का दिन है!

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गोपाल झा.
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है
जाने-माने शायर अहसन मारहरवी की यह पंक्ति जीवन दर्शन को दर्शाती है। लेकिन जिंदगी की गाड़ी दो पहियों से ही आगे बढ़ती है। जी हां, खुशी और गम का पहिया। सुख और दुःख खत्म हो जाएं तो फिर जीवन का अर्थ ही खत्म हो जाएगा। जब तकलीफ होती है तभी तो उबरने की कोशिश की जाती है ताकि राहत मिले, खुशियां मिले। इसी जद्दोजहद में गुजरती रहती हैं जिंदगी।
हर साल 20 मार्च को विश्व प्रसन्नता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य पूरी दुनिया को यह याद दिलाना है कि खुश रहना मानव जीवन का मूल उद्देश्य है और यह एक मौलिक अधिकार भी है। संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में इस दिवस को मान्यता दी और 2013 से इसे मनाने की शुरुआत हुई। इस साल का थीम भी यही संदेश देता है कि खुश रहना अपनी प्राथमिकता बनाएं।
लेकिन सवाल उठता है, खुश रहना इतना जरूरी क्यों है? आखिर आदमी खुश क्यों नहीं रह पाता? खुश रहने के लिए हमें क्या करना चाहिए? विश्व प्रसन्नता दिवस के क्या हैं मायने?
दरअसल, खुश रहना जीवन की ऊर्जा है। खुशी सिर्फ मन की स्थिति नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का मूल स्रोत है। आप देखेंगे, खुश रहने वाले लोग तनाव, डिप्रेशन और चिंता से कम प्रभावित होते हैं। उनके हृदय, दिमाग और इम्यून सिस्टम बेहतर तरीके से काम करते हैं। रिसर्च से पता चलता है कि जो लोग खुश रहते हैं, उनकी उम्र लंबी होती है और वे जीवन में अधिक सफल होते हैं। खुश इंसान हर परिस्थिति में कुछ अच्छा ढूंढ लेता है। वह मुश्किल हालात में भी समाधान खोजता है, निराशा में डूबने के बजाय संघर्ष का रास्ता अपनाता है। खुश लोग दूसरों के साथ बेहतर संवाद करते हैं, उनके रिश्ते मजबूत होते हैं और समाज में उनका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कार्यस्थल पर खुशी का माहौल रहने से कर्मचारी रचनात्मक होंगे और वे श्रेष्ठ प्रदर्शन करते मिलेंगे।


यह सच है कि आज के दौर में हर व्यक्ति खुश रहने की कोशिश तो करता है, लेकिन असल खुशी से वंचित रह जाता है। इसके कई कारण हैं। मसलन, भौतिक सुख की दौड़। हमने खुशी को भौतिक सुख-सुविधाओं से जोड़ दिया है। बड़ी गाड़ी, आलीशान घर, रसूखदार ओहदा, इन सबको पाने की होड़ में हम आत्मिक खुशी को भूल जाते हैं। लेकिन ये चीजें क्षणिक खुशी तो देती हैं, परन्तु स्थायी सुख नहीं। आज का जीवन भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा से भरा हुआ है। हर कोई आगे बढ़ने की होड़ में लगा है। इस दौड़ में मनुष्य खुद को भूल जाता है, उसकी खुशियां कहीं पीछे छूट जाती हैं।


इसमें दो राय नहीं कि सोशल मीडिया ने भी हमारे हिस्से की खुशी पर डाका डाला है। सोशल मीडिया पर दूसरों की चमक-दमक भरी जिंदगी देखकर लोग अपनी जिंदगी से असंतुष्ट हो जाते हैं। वे तुलना में उलझकर अपनी वास्तविक खुशियों को नजरअंदाज कर देते हैं। ‘बस और चाहिए…’ यही मानसिकता आदमी को चैन से जीने नहीं देती। संतोष और कृतज्ञता की कमी इंसान को हमेशा अधूरा महसूस कराती है। फिर कई लोग ऐसे भी हैं जो अतीत की गलतियों और भविष्य की चिंताओं में इतने उलझे रहते हैं कि वे वर्तमान में जीना ही भूल जाते हैं। खुशी हमेशा ‘वर्तमान क्षण’ में होती है, लेकिन हम उसे पकड़ नहीं पाते।
अब सवाल है, खुश रहने के लिए हमें क्या करना चाहिए? सच पूछिए तो इसका कोई जादुई मंत्र नहीं है, लेकिन कुछ साधारण आदतें आपकी जिंदगी में खुशियों का रंग घोल सकती हैं। खुशी ‘अभी और यहीं’ में छिपी होती है। भविष्य की चिंताओं और अतीत की परेशानियों को छोड़कर वर्तमान पल को खुलकर जीना सीखें। हर दिन सुबह उठकर उन चीजों के बारे में सोचें, जिनके लिए आप कृतज्ञ हैं। यह छोटी-छोटी चीजें आपको जीवन के प्रति सकारात्मक बनाएंगी। अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। प्यार, अपनापन और समर्थन से भरे रिश्ते ही असली खुशी का आधार होते हैं। निरंतर सीखते रहना और अपने भीतर नए गुण विकसित करना आपको संतोष और खुशी की ओर ले जाता है। व्यायाम, ध्यान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप अपने भीतर की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में प्रवाहित कर सकते हैं। पेंटिंग, म्यूजिक, डांस, लेखनकृजो भी काम आपको खुशी देता है, उसे नियमित रूप से करें। किसी जरूरतमंद की मदद करके जो संतोष मिलता है, वह खुशी को कई गुना बढ़ा देता है।


विश्व प्रसन्नता दिवस सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश देने का अवसर है कि ‘खुश रहना मानव जीवन का अधिकार है और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’ संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन का उद्देश्य यह रखा कि समाज में समानता, न्याय और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा दिया जाए, जिससे हर व्यक्ति को खुश रहने का अवसर मिले। खुशहाल समाज में लोग अधिक रचनात्मक और नवोन्मेषी होते हैं। खुशियां सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक उन्नति का भी माध्यम बनती हैं। जब हर व्यक्ति खुश रहता है तो समाज में सहयोग, भाईचारा और सामूहिक विकास का वातावरण बनता है। खुशहाल समाज में हिंसा, असंतोष और असमानता कम होती है। शांति और सौहार्द का वातावरण बनता है। खुश रहना कोई जादू नहीं, बल्कि एक अभ्यास है। इसे अपनाकर हम अपनी जिंदगी को अर्थपूर्ण और आनंदमय बना सकते हैं। विश्व प्रसन्नता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि खुश रहना सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि जीवन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
तो आइए, इस दिन अपने भीतर की खुशी को खोजें, उसे दूसरों के साथ साझा करें और खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ाएं। खुशी बांटने से बढ़ती है, और दुख बांटने से घटता है। अगर, हम इस थॉट को महसूस करेंगे तो हम हर दिन, हर पल खुश रहेंगे। हमें खुश करने के लिए कोई यह नहीं कहेगा कि आज खुश होने का दिन है। है न ?
-लेखक भटनेर पोस्ट मीडिया ग्रुप के चीफ एडिटर हैं

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