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भटनेर पोस्ट साहित्य डेस्क.
अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं कागद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को हनुमानग़ढ़ जंक्शन की दुर्गा मंदिर धर्मशाला स्थित कागद पुस्तकालय में मासिक काव्य गोष्ठी हुई। अध्यक्षता वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने की। डॉ. राजवीर सिंह बतौर मुख्य अतिथि व मनोज देपावत विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। गोष्ठी का आगाज उदयपाल प्रजापति ने ‘सूखे पत्तों सा बिखरा हूं, किसी ने समेटा भी तो जलाने के लिए…’ कविता के जरिए किया। सुरेन्द्र सत्यम ने ‘एक चोर की जमानत कराई… ’ हास्य कविता तथा ‘तुम बहुत खूबसूरत हो…’ प्रेम गीत सुनाया। मोहनलाल वर्मा ने ‘कैसे मैं रोकूं बता दे …’ और ‘जरा कुछ सोच कर …’ गीत तरन्नुम में पढ़े। विनोद यादव ने ‘कभी देखी थी तकलीफ बढ़ी…’, कविता के जरिए चिकित्सकों की मेहनत को रेखांकित किया। डॉ. प्रेम भटनेरी ने ‘तुम्हारा नाम लिखकर…’ और ‘सच का साथ… ’गजल पढकऱ प्रशंसा पाई। अदरीस रसहीन ने ‘वक्त मिला है मुख्तसर सा…’ गजल सुनाई। मनोज देपावत ने ‘नया रूप हो, नई रवानी हो..’ कविता के जरिए नववर्ष का स्वागत किया। वीरेन्द्र छापौला वीर ने बाल गीत, ‘खारोड़ी दवाई..’ प्रस्तुत किया। वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन ने ‘एक औरत मेरे भीतर..’ कविता सुनाई। डॉ. राजवीर सिंह ने राजस्थानी कविता, ‘मांग र खावणो सोरो…’. प्रस्तुत की। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने गोष्ठी के महत्व पर चर्चा की। इसके बाद अपने काव्य संग्रह ‘जहां मैं खड़ा हूं’ से कई कविताएं पढ़ी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष नरेश मेहन ने सबका आभार जताया।
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