प्रवासी राजस्थानी व विदेशी निवेशकों को कितना आकर्षित कर पाएगा सीएम का विदेश दौरा ?

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डॉ. सन्तोष राजपुरोहित.
हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल राज्य में निवेश लाने के उद्देश्य से विदेशी दौरे पर जाकर आए हैं। मेरी दृष्टि में राजस्थान में निवेश की संभावनाओं और चुनौतियों को निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझने का प्रयास किया गया हैं। हालांकि राजनीतिक तौर पर जिस तरह इसके परिणामों को लेकर संभावनाएं जताई जा रही हैं, उसी तरह धरातल पर यह प्रयास कितना कारगर होगा, कहना संभव नहीं। इससे पूर्व गहलोत सरकार ने भी इस तरह के प्रयास किए थे लेकिन धरातल पर बहुत अधिक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए। ऐसे में जरूरी होगा कि सरकार संभावित कमियों पर गौर करे और उसे दूर करने की दिशा में ठोस पहल करे ताकि निवेशकों को राजस्थान से स्थाई जुड़ाव महसूस हो सके। बहरहाल, इन बिंदुओं के आधार पर इसके मायने को समझा जा सकता है।


विदेशी निवेशकों से सीधा संपर्क: भजनलाल के दौरे से विदेशी निवेशकों के साथ सीधे संपर्क स्थापित करने का अवसर मिला, जिससे राजस्थान में निवेश की संभावनाएं बढ़ीं।
राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों की प्रस्तुति: सीएम विदेशों में राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्रों की जानकारी और वहां की संभावनाओं को प्रस्तुत किया, जिससे निवेशकों को आकर्षित किया गया। निवेश नीतियों का प्रचाररू भजनलाल ने विदेशी दौरे के दौरान राज्य की निवेश नीति और सुविधाओं का प्रचार-प्रसार किया, जो निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण प्रस्तुत करता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास की योजनाएं: राजस्थान में चल रही इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और भावी योजनाओं का प्रचार किया गया, जिससे निवेशकों को राज्य में निवेश का भरोसा हुआ।
निवेश अनुकूल वातावरण: दौरे के दौरान उन्होंने राजस्थान में उपलब्ध निवेश-अनुकूल वातावरण, जैसे कम लागत, व्यापारिक सुगमता, और कुशल श्रम के बारे में बताया।
राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का प्रदर्शन: राज्य के खनिज संसाधनों, ऊर्जा स्रोतों और कृषि आधारित उद्योगों की संभावनाओं का प्रदर्शन किया, जिससे निवेशकों की रुचि जागृत हुई।
राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत: भजनलाल ने राज्य की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन उद्योग की भी चर्चा की, जिससे पर्यटन से जुड़े निवेशकों को आकर्षित किया।
राजनयिक संबंधों का विकास: विदेशों में प्रमुख उद्योगपतियों और अधिकारियों से मिलकर भजनलाल ने राजस्थान के लिए मजबूत राजनयिक और व्यापारिक संबंध बनाए।
तकनीकी सहयोग और साझेदारी: दौरे के दौरान तकनीकी साझेदारी और नवाचार की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई, जिससे राज्य में आधुनिक तकनीक और उद्योगों का विकास हो सके।
विशेष निवेश क्षेत्रों की स्थापना: भजनलाल ने विशेष निवेश क्षेत्रों, जैसे स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन और औद्योगिक पार्कों की योजनाओं का प्रचार किया, जो विदेशों में निवेश के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे।
मुख्यमंत्री भजनलाल के विदेशी दौरे से राजस्थान में निवेश की संभावनाएं बढ़ीं। खासकर औद्योगिक, तकनीकी, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में। हां, इससे राजस्थान में निवेश की संभावनाओं के बावजूद कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: राजस्थान में सड़कों, बिजली, पानी और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी निवेशकों के लिए एक प्रमुख चुनौती हो सकती है, खासकर ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों में।
जल संकट: राज्य में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है। निवेशकों को उद्योग स्थापित करने के लिए पर्याप्त जल संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में कठिनाइयां हो सकती हैं।
कुशल श्रम की कमी: निवेश के लिए आवश्यक कुशल श्रमिकों की उपलब्धता सीमित हो सकती है, जिससे औद्योगिक विकास और उत्पादन में रुकावट आ सकती है।
भ्रष्टाचार और नौकरशाही: प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं विदेशी निवेशकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं।
कानूनी और नियामक जटिलताएं: विदेशी निवेश के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं और नियामक जटिलताएं निवेशकों के लिए समय और संसाधनों की बर्बादी कर सकती हैं। स्थानीय विरोधरू भूमि अधिग्रहण और औद्योगिकीकरण के कारण स्थानीय समुदायों से विरोध हो सकता है, जो निवेश की गति को धीमा कर सकता है।
राजनीतिक प्रतिबद्धता: यदि राज्य या केंद्र सरकार में राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी होती है, तो निवेशक अपने निवेश को सुरक्षित नहीं मान सकते, जिससे निवेश की संभावना कम हो जाती है।
ऊर्जा की कमी: राज्य में बिजली की आपूर्ति की कमी और अव्यवस्थित वितरण भी उद्योगों के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
भविष्य में योग्य नीतियों की कमी: नीति में लगातार बदलाव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की कमी से निवेशकों को अपने निवेश की सुरक्षा को लेकर संदेह हो सकता है।
पर्यावरणीय चुनौतियां: पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन और औद्योगिक प्रदूषण की समस्याएं भी निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकती हैं, विशेष रूप से खनन और भारी उद्योग क्षेत्रों में।
इन चुनौतियों का समाधान किए बिना, भजनलाल के विदेशी दौरे से मिले सकारात्मक संकेतों को व्यवहारिक रूप से निवेश में परिवर्तित करना कठिन हो सकता है।
-लेखक राजस्थान आर्थिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं

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