डॉ. संतोष राजपुरोहित.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान जनमानस में बहुचर्चित मुद्दा महंगाई को लेकर रहा हैं। चूंकि सरकार का गठन हो चुका है और भाजपा नेता भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण कर चुके हैं, इसलिए बड़ा सवाल यह हैं कि क्या प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद महंगाई पर अंकुश लगेगा ?
मेरा व्यक्तिगत मानना हैं कि देश-प्रदेश में चाहे किसी की सरकार आ जाए, अब सस्ता कुछ नही होने वाला हैं। दरअसल पिछले कई वर्षों से अनुभव कीजिए कि एक बार जिन चीज़ों के दाम बढ़ गए वो कम होकर भी कभी वापिस पुराने स्तर पर नही आए।
यह केवल हमारे देश या प्रदेश की बात नही हैं सम्पूर्ण वैश्विक परिदृश्य में यही चल रहा हैं।
मेरा व्यक्तिगत मानना हैं कि देश-प्रदेश में चाहे किसी की सरकार आ जाए, अब सस्ता कुछ नही होने वाला हैं। दरअसल पिछले कई वर्षों से अनुभव कीजिए कि एक बार जिन चीज़ों के दाम बढ़ गए वो कम होकर भी कभी वापिस पुराने स्तर पर नही आए।
यह केवल हमारे देश या प्रदेश की बात नही हैं सम्पूर्ण वैश्विक परिदृश्य में यही चल रहा हैं।
महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण जनसंख्या का बढ़ता दबाव भी है। ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के बराबर प्रति वर्ष हमारे देश की जनसंख्या बढ़ रही हैं। हमारे प्रदेश की जनसंख्या बहुत से देशों की कुल जनसंख्या से अधिक हैं। पेट्रोल-डीजल की दृष्टि से राजस्थान महंगे प्रदेशो में से एक हैं। परिवहन लागतें महंगाई को ओर बढ़ा देती हैं।
रुपये की डॉलर में गिरती साख भी एक कारण हैं।
रुपये की डॉलर में गिरती साख भी एक कारण हैं।
राजस्थान देश मे सर्वाधिक मुद्रा स्फीति वाले प्रदेशो में शामिल हैं। राजस्थान के प्रति व्यक्ति पर लगभग 70 हजार 848 रुपये का कर्जा हैं। आजादी से आज तक सबसे ज्यादा कर्जा लेने वाली गत सरकार रही। आज तक राजस्थान पर जो कुल कर्जा हैं उसका लगभग 27 फीसदी कर्जा पिछली सरकार ने केवल 5 वर्षों में ले लिया। उसके बहुत सारे कारण रहे होंगे। लेकिन अब उस कर्जे के मूल के साथ-साथ ब्याज अदायगी एक बड़ी चुनौती रहने वाली हैं। ऐसे में ज्यादा कुछ सस्ता होने की उम्मीद बेमानी होगी।
व्यक्तिगत तौर पर आम आदमी अपने परिवार के अनावश्यक खर्चाे में कटौती करने का प्रयास करे।
कर्जा अतिआवश्यक होने पर ही लें। अपने खर्चाे की मद्दों की वरीयता निर्धारित करें। यथा सम्भव अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने का प्रयास करे, क्योंकि सस्ता कुछ नहीं होने वाला।
कर्जा अतिआवश्यक होने पर ही लें। अपने खर्चाे की मद्दों की वरीयता निर्धारित करें। यथा सम्भव अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने का प्रयास करे, क्योंकि सस्ता कुछ नहीं होने वाला।
( लेखक राजस्थान आर्थिक परिषद के अध्यक्ष रहे हैं)