बाबोसा की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा, जयघोष से गूंज उठी धर्मनगरी

भटनेर पोस्ट डेस्क.
धर्मनगरी बीकानेर के जाने-माने अध्यात्वेत्ता, सिद्धयोगी और युगदृष्टा उदय गिरी जी महाराज (बाबोजी) की सफेद संगमरमर से बनी सजीव और चित्ताकर्षक मूर्ति की नत्थूसर गेट के बार स्थित उनके समाधिस्थल पर चंचल हर्ष सेठ रतनलाल हर्ष परिवार की ओर से प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। परिवार की ओर से बाबोजी के समाधिस्थ होने के 148 वर्षों बाद पहली बार उनकी मूर्ति का निर्माण कराया गया है, जिसकी विधिवत स्थापना वैदिक रीति और परम्पराओं का निर्वहन करते हुए पावन मंत्रोच्चारण के साथ हुई। ‘सुप्रतिष्ठोभव’ एवं ‘देवो भूत्वा देवं यजेत’ सरीखी पावन वेद ध्वनियों की अनूगूंज के बीच चंद्रेश हर्ष और उनकी धर्मपत्नी रजनी हर्ष ने प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की पूजा कराते हुए ‘बाबोजी’ से देश और समाज की प्रगति और खुशहाली की कामना की।आयोजन समिति के सह संयोजक नूतन कुमार हर्ष ने बताया कि सात फीट ऊंची संगमरमर की स्वर्णिम गुम्बद वाली बंगली में सिद्धासन में विराजे ‘बाबोजी’ की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होते ही श्रद्धालुओं के दिलों में आनंद, उल्लास और अपने आराध्य के प्रति श्रद्धा का समंदर उमड़ पड़ा। सभी ने समवेत स्वरों में ‘जय अलख’, ‘जय श्री गुरु अलख’ और ‘ॐ अलख’ के पावन उद्घोष से उदयगिरी जी महाराज के प्रति अपने मन में बसे भावों का खुशी और प्रेम के साथ इजहार किया।
’दिनभर बना रहा भक्तिमय माहौल’
आयोजन समिति के सदस्य विकास हर्ष ने बताया कि दिवस पर्यंत समाधि स्थल पर आने वाले बाबोजी के भक्तों ने शिव पंचाक्षर स्रोत, रुद्राष्टकम, महामृत्युंज्य मंत्र और श्वि भजनों से सरोबार माहौल में बाबोजी की नव स्थापित प्रतिमा का उत्सव मनाया और जलाभिषेक करते हुए अपनी भावांजलि अर्पित की। प्रतिष्ठा महोत्सव में पंडित विजय कुमार ओझा ‘मुन्ना महाराज’, बसंत महाराज, जूनी महाराज और गोकुल महाराज के सान्निध्य में उदयगिरी जी महाराज की नूतन प्रतिमा का शुभ मुहूर्त में पंचामृत, दिव्य औषधियों और जड़ी बूटियों के भव्य अभिषेक किया गया।
’संत समागम में हुआ साधु महात्माओं का सम्मान’
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में विशेष रूप से आमंत्रित अलख मत और अन्य पंथों के साधु संतों का अभिनंदन सम्मान किया गया। उपस्थित लोगों ने समागम में संतों की सेवा सुश्रूषा करते हुए उनका आशीर्वाद लिया। शाम को समाधिस्थल पर उदय गिरी जी महाराज की नव स्थापित प्रतिमा के समक्ष भव्य महाआरती के बाद महाप्रसादी का आयोजन किया गया। इन आयोजनों में संत समाज, साधु महात्मा, जनप्रतिनिधिगण, समाज के प्रबुद्धजन, धर्म और अध्यात्म के प्रेमी,समाज की विभिन्न जातियों से उदयगिरी जी महाराज के भक्त और श्रद्धालुगण सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिकों ने अपूर्व उत्साह के साथ भाग लिया।
’योग साधना की अलख जगाने वाले उदय गिरी जी महाराज’
पश्चिमी राजस्थान में जांगल प्रदेश और मरुधरा के रूप में विख्यात बीकानेर की पावन धरा से जुड़े उदयगिरी जी महाराज आज से करीब डेढ़ सदी पूर्व समाधिसथ हुए। उन्होंने अपने जीवनकाल में आध्यात्मिक साधना, तपोबल और शिवोपासना के बल पर समाज को लोक कल्याण और मानव सेवा के मार्ग पर चलने की सीख दी। ‘बाबोजी’ ने त्याग, तप और तपश्चर्या के दुरूह पथ को अपनाकर अलख मत की स्थापना करते हुए छोटी काशी बीकानेर की मरुधरा को अपने ज्ञान से आलोकित किया। वे सदैव लोक जीवन में सत्य, नेकी और परोपकार के पैरोकार रहे और अपने जीवन दर्शन से अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने चराचर जगत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रादुर्भाव कर ईश्वरोपासना की राह दिखाने वाले संतों के सिद्धांतों और आदर्शों को जन जन तक पहुंचाया। यहीं कारण है कि आज भी उदयगिरी जी महाराज जैसे योगी युगपुरुष के सिद्धांत और आदर्शों की दुहाई और प्रसार करके उनके अनुयायी खुद को धन्य समझते हैं।
ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका, लखपत व्यास, एस के आचार्य, करणी दान हर्ष अनिल हर्ष, राम कुमार पुरोहित, हरी प्रकाश हर्ष, दिलीप बांठिया, संतोष हर्ष, खेमचंद, डीपी पच्चीसिया, सुरेंद्र जैन, जुगल राठी, एडवोकेट ओपी हर्ष, दिनेश हर्ष विनोद हर्ष अवनेश माथुर अनिल हर्ष कुमार गौरव हर्ष अपूर्व हर्ष, एमडी हर्ष, सुरेश खत्री, राम रतन धारणिया सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।

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