हनुमानगढ़: ‘सियासी धमाके’ का इंतजार!

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

हनुमानगढ़ यानी हनुमान का गढ़। राजनीति का केंद्र बिंदु। मंगलवार को उम्मीद थी कि फूल वाली पार्टी में एक गुट के लिए ‘अच्छी खबर’ आएगी। राम अपना ‘प्रताप’ दिखाएंगे और ‘बल्ले-बल्ले’ हो जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। राम ने ‘प्रताप’ नहीं दिखाया है अब तक। ऐसे में मंगलवार इनके लिए ‘मंगलकारी’ साबित नहीं हुआ। कार्यकर्ताओं की मानें तो “कृष्ण” कभी किसी का मुंह “कडवा” नहीं करते। वे तो मिठास के पर्याय हैं। 
बुधवार यानी ‘गणेश’ का दिवस। दूसरे गुट को आस है, सब ‘अच्छा’ होगा। वे सब कुछ ‘सैट’ होने की उम्मीद जता रहे। फूल वाली पार्टी में ‘आशीष’ की आस लगाए बैठे कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि जब मां सरस्वती के चित्र पर ‘सुमन’ अर्पित करते हैं तो मां ‘प्रेम’ जरूर बरसाती हैं भले ‘सावन’ न हो। सियासत के आंगन में ‘देवेंद्र’, ‘सुरेंद्र’ की अपनी शक्ति है। सफलता मिले न मिले, कार्यकर्ताओं का काम ‘संदीप’ की तरह प्रज्ज्वलित रहना है, जिसका काम जलते जाना है, बस…जलते जाना। जो जलेगा, वही निखरेगा। यही राजनीति का रिवाज है। चर्चा यह भी है कि फूल वाली पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को ‘सरप्राइज’ देने के मूड में है। अगर ऐसा होता है तो पार्टी किसी को भी ‘राजकुमार’ बना सकती है। वैसे भी पार्टी अब सिर्फ कहने के लिए बची है। यहां पर सबकी सुनने की परंपरा तो कभी खत्म हो गई। अब तो ‘दो भाई’ की जोड़ी है जो मनमाफिक निर्णय लेती है। तो क्या, आने वाला समय इस पार्टी के लिए ‘धमाकेदार’ सौगात देने का इंतजार कर रहा है ? 
(पॉलिटिकल बीट कवर करने वाले खबरनवीस की मजाकिया लहजे में आधारित यह शोख रपट)

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