भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
जिला मुख्यालय पर धानमंडी स्थित एसबीआई शाखा के सामने पेड़ के नीचे बैठे इस शख्स को देखकर हर कोई एक बार ठिठक जाता है। ‘रामा-श्यामा’ के बाद जब उन्हें पता चलता है कि जैनेंद्र कुमार झाम्ब बैंक प्रबंधन की कथित हठधर्मिता के खिलाफ धरने पर बैठे हैं तो लोगों के चेहरे पर शिकन साफ दिखाई देने लग जाती है। इस तरह रोजाना जेके झाम्ब के समर्थन में लोग लामबंद होने लगे हैं। लोग जेके झाम्ब के साथ धरना पर बैठने को उत्सुक हैं लेकिन झाम्ब उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं और सिर्फ नैतिक समर्थन की अपील करते हैं। जेके झाम्ब ‘भटनेर पोस्ट’ से कहते हैं, ‘बात कुछ भी नहीं है लेकिन बहुत बड़ी भी है। साल 1984 से 2021 तक एसबीआई की नौकरी की। वीआरएस लेने के बाद कुछ अधिकारियों ने बेवजह भत्ते आदि के भुगतान में आनाकानी की। विरोध दर्ज करवाया तो काफी हद तक बकाया परिलाभ का भुगतान किया। अब कुछ अधिकारी फिर मनमर्जी कर रहे। सेवानिवृत्ति के बाद औपचारिक ‘सराहना पत्र’ नहीं दे रहे। इससे आहत हूं। जिस बैंक की सेवा में जिंदगी का अहम हिस्सा गुजार दिया, सेवानिवृत्ति के बाद एक अदद सराहना पत्र से वंचित कर दिया जिससे आत्मा कचोट रही। इसलिए क्रमिक धरने पर बैठा हूं।’
जेके झाम्ब के मुताबिक, सेवानिवृत्ति पर बैंक का नियम है कि कर्मचारी को उसकी बैंक सेवाओं की सराहना का पत्र दिया जाए। लेकिन उन्हें यह पत्र नहीं दिया गया। यह पत्र नहीं देने के संबंध में बैंक अधिकारियों से पूछा गया तो कहा गया कि यह तो बैंक का विवेकाधिकार है। झाम्ब के मुताबिक, विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर किसी कर्मचारी को किसी चीज से वंचित किया जाता है तो उसका कोई ठोस कारण होता है। उन्होंने इस संबंध में चार दिन पहले बैंक अधिकारियों को सूचित किया था। लेकिन सराहना पत्र नहीं मिलने पर वे पुनः बैंक के सामने अपना दुखड़ा लेकर धरने पर बैठने को मजबूर हुए हैं। गौरतलब है कि जेनेन्द्र कुमार ने पूर्व में दो बार मांग लिखा बैनर गले में टांगकर बैंक शाखा के सामने खड़े होकर अपना विरोध दर्ज करवा चुके हैं।
बैंक के खिलाफ तैयार हो रहा जनमत
धरने का असर यह हुआ कि एसबीआई प्रबंधन के खिलाफ शहर में माहौल बनने लगा है।
बार संघ अध्यक्ष जितेंद्र सारस्वत कहते हैं, ‘बैंक प्रबंधन की यह हठधर्मिता है। हम इसकी निंदा करते हैं। जरूरत पड़ी तो हम धरने में शरीक होंगे और जेके झाम्ब को न्याय दिलाने में अपना योगदान देंगे।’
नागरिक सुरक्षा मंच के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी कहते हैं, ‘जेके झाम्ब को केवल इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है कि उन्होंने सच के लिए आवाज उठाई। बैंक के कुछ अधिकारियों के अनैतिक कार्यों की उच्च स्तर पर शिकायत की। सामान्यतः राष्ट्रीकृत बैंक का कर्मचारी अपनी सेवा के अंतिम दिन आँखों में आंसू लिए, अपने साथी कर्मचारियों से गले मिलते हुए और हाथ में नियोक्ता बैंक का सराहना पत्र लिए सीना तान कर घर जाता है। मगर सेवानिवृत्ति वाले दिन उसे पत्नी सहित बैंक में बुलाकर अपमानित कर निर्धारित सराहना पत्र दिए बिना रवाना कर दिया गया। बैंक ने अनेक परिलाभ अटका कर दिए। इसलिए अनेक बार जेके झाम्ब को बैनर उठाकर अपने ही बैंक के बाहर रोष प्रदर्शन करना पड़ा। अब सराहना पत्र के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है, धिक्कार है प्रबंधन पर। देश का संविधान हमें गरिमा पूर्ण जीवन का अधिकार देता है, इस मामले को देख कर लगता है कि कुछ बैंक अधिकारियों की नजरों में उनके अधीनस्थ कर्मचारियों का कोई गरिमापूर्ण जीवन शायद होता ही नहीं है। बैंक कर्मचारियों को चाहिए कि वे अपने साथी के लिए आगे आए अन्यथा भविष्य में उनमें से कोई झाम्ब की तरह यूं ही बैंक के बाहर खड़ा दिखाई देगा।’