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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान यूथ बोर्ड की महापंचायत में अपने दिल की बात कह दी। उन्होंने कहाकि निराश और हताश होना ठीक नहीं। बकौल गहलोत, ‘मैं राजनीति में आने से पहले डॉक्टर बनने की इच्छा रखता था। खूब मेहनत करता लेकिन कामयाबी नहीं मिली। फिर निराश नहीं हुआ और जन सेवा के लिए खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर तैयार किया।’ सीएम गहलोत ने कहा-कोटा में जो आत्महत्या हो रही हैं। वह दुखद और चिंता का विषय है। आठ महीने में 20 बच्चों ने सुसाइड कर लिया। मैं बचपन में डॉक्टर बनना चाहता था। रात को दो-तीन बजे तक पढ़ता था, लेकिन कामयाब नहीं हुआ। मैंने हिम्मत नहीं हारी। रास्ता बदला। सोशल वर्कर बना। राजनीति में आया और आज आपके सामने हूं। परिवार को भी चाहिए कि बच्चों पर दबाव नहीं डाले। जो बनना चाहते हैं, बनने दें। सबका फिक्स है कि किसको क्या करना है और क्या बनना है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं सीएम बनूंगा, केंद्रीय मंत्री बनूंगा, लेकिन सब पद मुझे मिले। बच्चों पर इतना दबाव है, यह गंभीर हालत है। उनकी काउसलिंग अच्छे से होनी चाहिए।