‘सियासी खेला’ कर सकता है संघ, आशीष पारीक को लेकर चर्चा परवान पर

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय सह संयोजक रहे आशीष पारीक नई भूमिका में नजर आ रहे हैं। जगह-जगह उनके लगे हॉर्डिंग्स सियासी चर्चाओं को हवा दे रहे हैं। इतना ही नहीं, वे लगातार हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। गांवों में नुक्कड़ सभाओं को संबोधित कर रहे हैं। खुद को आम परिवार का सदस्य बता रहे। लोगों को यह भरोसा देना नहीं भूलते कि उन्हें आम आदमी के दर्द का अहसास है। वे आम जन की पीड़ाओं को दिल से महसूस करते हैं। खेती-किसानी और बेरोजगारी की पीड़ा। बिगड़ता सामाजिक ताना-बाना।

हनुमानगढ़ का विकास। इन सब विषयों पर अपनी बात बेबाकी से रख रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि वे अपने भाषण में कहीं इस बात का जिक्र नहीं करते कि वे चुनाव लड़ना चाहते हैं। बकौल आशीष पारीक, ‘सिर्फ टिकट के लिए प्रयास करना और चुनाव लड़ना भर हमारा मकसद नहीं। हम तो दिल से अपने इलाके का चहुंमुखी विकास चाहते हैं। विश्व हिंदू परिषद से दायित्व मुक्त होने के बाद अब वे नई पारी की शुरुआत कर रहे हैं। समाज सेवा में अब तक की जिंदगी होम कर दी तो आगे भी इसे जारी रखना है। पहले अलग दायित्व था, पूरी ईमानदारी से उनका निर्वहन किया। अब अलग भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।’

रोडावाली में नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए आशीष पारीक ने क्षेत्र को लेकर अपने विजन पर रोशनी डाली। उन्होंने कहाकि वे शिक्षक के बेटे हैं। समाज के प्रति अपने दायित्व को बखूबी जानते हैं। इसलिए गांवों में घूम कर अपनी बात रख रहे। क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान के लिए रूपरेखा तैयार कर रहे। संघर्ष करना हमारी फितरत है। हम उसी का रास्ता तैयार कर रहे हैं।
राजनीतिक गलियारे में इस बात की पुरजोर चर्चा है कि आशीष पारीक भले खुलकर कुछ नहीं कह रहे लेकिन अपने कामकाज की वजह से वे आरएसएस के चहेते हैं। 

ऐन चुनाव से पहले उनको विश्व हिंदू परिषद के प्रांत सह संयोजक पद से मुक्त करना और आशीष पारीक का यूं क्षेत्र में जाना महज संयोग नहीं है। कहीं न कहीं यह आरएसएस की रणनीति का हिस्सा तो नहीं ? हालांकि आशीष पारीक और उनके समर्थक इससे साफ इंकार करते हैं। उनका कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। स्वयंसेवक और विश्व हिंदू परिषद अथवा बजरंग दल में बतौर पदाधिकारी वे राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते थे। अब संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त हैं, इसलिए सहयोगियों के सुझावों को अमल में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
दूसरी ओर, चर्चा है कि हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र पर आरएसएस की शुरू से नजर रही है। संघ अपने किसी खास स्वयंसेवक को राजनीति में आगे बढ़ाने की तमन्ना पाले हुए है। तो क्या, आशीष पारीक के माध्यम से आरएसएस हनुमानगढ़ में कोई ‘खेला’ करना चाहता है ? बहरहाल, इस सवाल का माकूल जवाब किसी के पास नहीं। मतलब, वक्त ही सही जवाब दे सकता है।

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